वेद वाणी
-
हमें सात्विक भोजन- शहद दूध आदि उत्तम पदार्थ देव प्राप्ति के योग्य और दिव्य गुण वाला बनाते हैं!
हमें सात्विक भोजन- शहद दूध आदि उत्तम पदार्थ देव प्राप्ति के योग्य और दिव्य गुण वाला बनाते हैं! ( अभि…
Read More » -
हम प्रभु की उपासना से पवित्र, ज्ञानी, व दैवी सम्पत्ति वाले और दिव्य गुणों वाले बनेगें!
हम प्रभु की उपासना से पवित्र, ज्ञानी, व दैवी सम्पत्ति वाले और दिव्य गुणों वाले बनेगें! (उपास्मै गायता नर: पवमानायेन्दवे!…
Read More » -
जब हम वेद माता को अपनाते है, स्वाध्याय करते हैं तो हमारा अन्त:करण प्रकाशित हो उठता है! प्राणशक्ति की वृद्धि से सब मल दूर हो जाते हैं और उपासक प्रकाशित हो उठता है और उपासक अन्तर्ज्योति प्रभु को देखता है!
जब हम वेद माता को अपनाते है, स्वाध्याय करते हैं तो हमारा अन्त:करण प्रकाशित हो उठता है! प्राणशक्ति की वृद्धि…
Read More » -
हम वेद माता को अपनायें, जिससे हम उस दैदीप्यमान पिता- प्रभु का दर्शन कर सकें!
हम वेद माता को अपनायें, जिससे हम उस दैदीप्यमान पिता- प्रभु का दर्शन कर सकें! (आयं गौ: पृश्निरक्रमीदसदन् मातरं पुर:!…
Read More » -
अग्नि होत्र के लाभ निम्न हैं- (क) स्वास्थ्य (भू:) (ख) ज्ञान (भुव:) (ग) जितेन्द्रियता(स्व:)विशालता (द्यौ:इव पृथिवी इव) (घ) आद्य अन्न की प्राप्ति इन लाभों का ध्यान करते हुए अग्निहोत्र करना चाहिए!
अग्नि होत्र के लाभ निम्न हैं- (क) स्वास्थ्य (भू:) (ख) ज्ञान (भुव:) (ग) जितेन्द्रियता(स्व:)विशालता (द्यौ:इव पृथिवी इव) (घ) आद्य अन्न…
Read More » -
मुझे अनासक्त व पवित्र बनानेवाली मेरी ज्ञान दीप्तियां मुझे प्रभु के समीप पहुँचाने वाली हों- ये मुझे प्रभु का प्रिय बनायें! लोक हित में प्रवृत्त होकर मै प्रजापति बनूँ
मुझे अनासक्त व पवित्र बनानेवाली मेरी ज्ञान दीप्तियां मुझे प्रभु के समीप पहुँचाने वाली हों- ये मुझे प्रभु का प्रिय…
Read More » -
हम अपने ज्ञान व नैर्मल्य से प्रभु की महिमा को बढाने वाले बनें, बुराईयों से दूर तथा अच्छाई के समीप होकर अपने में शक्तियों को भरने वाले हो!
हम अपने ज्ञान व नैर्मल्य से प्रभु की महिमा को बढाने वाले बनें, बुराईयों से दूर तथा अच्छाई के समीप…
Read More » -
हम मलों की तीव्रता को दूर करके पवित्र बनें, अपने में प्रभु की ज्योति को जगायें , सभी को प्रभु पुत्र जानते हुए सभी के दुखों को अपना जानें, उस दुख को दूर करने से हमें शांति प्राप्त हो यही वास्तविक यज्ञ है!
हम मलों की तीव्रता को दूर करके पवित्र बनें, अपने में प्रभु की ज्योति को जगायें , सभी को प्रभु…
Read More » -
हम ज्ञानार्जन करें हृदय को निर्मल करें और अपने सब कर्मों को प्रभु अर्पण करने वाले बनें!
हम ज्ञानार्जन करें हृदय को निर्मल करें और अपने सब कर्मों को प्रभु अर्पण करने वाले बनें! (समिधाग्निं दुवस्यत् घृतैर्बोधयतातिथिम्!…
Read More » -
गुरु दक्षिणा यही है कि – उस उस शिक्षणालय के विद्यार्थी आचार्य कुलों में जीवन के आधार भूत पदार्थों – घी, दूध अन्न व रस कमी न होने दें! यही पितृ श्राद्ध है!
गुरु दक्षिणा यही है कि – उस उस शिक्षणालय के विद्यार्थी आचार्य कुलों में जीवन के आधार भूत पदार्थों –…
Read More »