भोजपुरी संगम की165वीं बैठक में भोजपुरी साहित्य में रविंद्र श्रीवास्तव’ जुगानी’ के योगदान पर चर्चा हुई
गोरखपुर,(दिनेश चंद्र मिश्र) भोजपुरी संगम की बशारतपुर में हुई 165वीं बैठक में भोजपुरी साहित्य में रविंद्र श्रीवास्तव’ जुगानी’ के योगदान पर चर्चा हुई। रविंद्र मोहन त्रिपाठी ने कहा की जुगानी अपने गांव ,शहर ,कस्बे में जिंदगी का रेशा- रेशा देखते हैं परखते हैं और अगले दिन रूपों एवं बिंबों से संपन्न अपनी सशक्त रचना के रूप में जनमानस में प्रस्तुत करते हैं उनकी रचनाओं में भोजपुरी के पुरातन शब्दों मुहावरों एवं कहावतों का सटीक व सफलतम उपयोग है। नए मुहावरों की सार्थक उत्पत्ति में जुगानी को जो महाभारत हासिल है वह किसी अन्य को नहीं है। डॉक्टर फूलचंद प्रसाद गुप्त ने कहा की जुगानी नाम भोजपुरी साहित्य के आकाश का ऐसा नक्षत्र है जो लगभग 50 साल से अनवरत जगमगा रहा है ।बैठक के दौरान वीरेंद्र मिश्र दीपक, चंदेशवर परवाना एवं अध्यक्षता कर रहे बागेश्वरी मिश्रा ने भी जुगानी से जुड़े संस्मरणों पर प्रकाश डाला दूसरे सत्र में अवधेश नंद, निखिल पांडे, अरविंद अकेला, अजय कुमार यादव, वीरेंद्र मिश्रा दीपक, डॉक्टर फूलचंद प्रसाद गुप्ता आदि ने अपनी रचनाएं पढ़ी।