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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से भारत को विकसित बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (वार्ता) सरकार का मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार के लागू होने से देश में विभाजनकारी राजनीति हतोत्साहित होगी, संसाधनों की मितव्ययिता के साथ विकास पर फोकस बढ़ेगा, शासन में स्थिरता आयेगी और देश में वित्तीय भार काफी कम हो जाएगा। इस प्रकार से 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का मार्ग सुलभ होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति की एक राष्ट्र एक चुनाव पर रिपोर्ट में की गयीं सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।

सूत्रों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ अन्य चुनावों को एक साथ कराना है। इस प्रस्ताव के कई फायदे हैं जोे -लागत में कमी, चुनावी थकान में कमी, शासन में स्थिरता, मतदाता भागीदारी में वृद्धि, संसाधनों का कुशल उपयोग, नीतियों में स्थिरता, राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करना, सार्वजनिक जीवन में कम व्यवधान, काले धन पर अंकुश, विकास चक्र में समानता, प्रशासनिक भार में कमी, आदर्श आचार संहिता में स्थिरता, दीर्घकालिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहन, चुनाव प्रबंधन में सरलता, मतदाता जागरूकता में वृद्धि, संघवाद को मजबूत करना, निवेशक विश्वास में वृद्धि, लोकतांत्रिक जवाबदेही को मजबूत करना, प्रशासनिक नौकरशाही का राजनीति से कम संबंध, जाति, समुदाय, और धार्मिक ध्रुवीकरण में कमी, चुनावी तैयारी में सुधार, सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में व्यवधान को कम करना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना, चुनाव अभियानों को सरल बनाना, कानून और व्यवस्था प्रबंधन में सुधार, ईवीएम और वीवीपीएटी का बेहतर उपयोग, केंद्र और राज्य नीतियों के बीच बेहतर समन्वय तथा न्यायिक निरीक्षण को सरल बनाना, हैं।

सूत्रों ने इसका उल्लेख करते हुए कहा कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में कमी आ सकती है, क्योंकि कई दौर में मतदान केंद्र, सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स पर खर्च बचाया जा सकता है। बार-बार होने वाले चुनाव लगातार राजनीतिक प्रचार का चक्र बनाते हैं, जिससे शासन में रुकावट आती है। एक चुनाव चक्र सरकारों को नीति-निर्माण और दीर्घकालिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की अवसर देगा। लगातार चुनाव छोटे-छोटे, लोकलुभावन निर्णयों को जन्म दे सकते हैं। एक साथ चुनाव होने से सरकारें दीर्घकालिक शासन और विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। यदि मतदाताओं को एक बार में राष्ट्रीय और राज्य दोनों चुनावों में मतदान करना हो तो मतदाता अधिक संख्या में भाग लेेंगे जिससे लोकतांत्रिक भागीदारी में सुधार हो सकता है। प्रशासनिक और सुरक्षा कर्मियों का एक समय पर चुनाव कराने से बेहतर उपयोग किया जा सकता है, जिससे संसाधनों का बार-बार इस्तेमाल टल सके। एक साथ चुनाव होने से राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन के कारण नीति में होने वाली रुकावटें कम हो सकती हैं।

सूत्रों ने कहा कि एक साथ चुनाव राष्ट्रीय राजनीतिक वातावरण को अधिक सामंजस्यपूर्ण बना सकते हैं, जिससे स्थानीय और राज्य मुद्दों पर कम ध्यान जाएगा। चुनाव अक्सर शासन, शिक्षा और वाणिज्य में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा करते हैं। एक बार चुनाव कराने से इन व्यवधानों में कमी आ सकती है। बार-बार चुनाव काले धन की आवाजाही को बढ़ावा दे सकते हैं। एक साथ चुनाव कराने से अवैध धन का प्रवाह कम हो सकता है। एक साथ चुनाव से केंद्र और राज्य दोनों सरकारें अपने विकास के लक्ष्यों को बेहतर तरीके से संरेखित कर सकती हैं। लगातार चुनाव चुनाव आयोग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन पर बोझ डालते हैं। एक साथ चुनाव होने से यह बोझ कम हो सकता है। चुनावों के दौरान लागू होने वाली आचार संहिता अक्सर सरकारी पहलों को बाधित करती है। एक साथ चुनाव से आचार संहिता के बार-बार लागू होने की संख्या कम हो जाएगी।

सूत्रों के अनुसार एक साथ चुनाव होने से सरकारें लंबे समय के नीति परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं, जिससे स्थायी विकास को बढ़ावा मिलेगा। मतदान के बुनियादी ढांचे (जैसे ईवीएम, मतदान केंद्र और कर्मियों) का प्रबंधन एक बार में चुनाव कराने से आसान और अधिक कुशल हो जाएगा। एक साथ चुनाव से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अधिक व्यापक बहस और चर्चाओं को बढ़ावा मिल सकता है। एकीकृत चुनाव प्रक्रिया से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय हो सकता है, जिससे उनकी शर्तें मेल खा सकती हैं। पूरे देश में एक स्थिर शासन अवधि निवेश और आर्थिक विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान कर सकती है। एक साथ चुनाव से जवाबदेही बढ़ सकती है, क्योंकि मतदाता राज्य और केंद्र सरकार दोनों का मूल्यांकन एक साथ करेंगे। कम चुनाव होने से नौकरशाहों और प्रशासनिक अधिकारियों पर राजनेताओं का दबाव कम होगा।

सूत्रों के मुताबिक बार-बार होने वाले चुनाव अक्सर जाति, समुदाय और धार्मिक वोटों के लिए ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। एक साथ चुनाव इन विभाजनकारी रणनीतियों को कम कर सकते हैं। चुनाव आयोग और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बेहतर योजना और चुनाव प्रक्रिया को निष्पादित करने का समय मिलेगा। एक साथ चुनावों से चुनावी अवधि के दौरान सामाजिक कल्याण योजनाओं का क्रियान्वयन अबाधित रहेगा। एक साथ चुनाव से पूरे देश में एक समान और एकीकृत लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा मिल सकता है। राजनीतिक दल और उम्मीदवार एकीकृत संदेश पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से सुरक्षा बलों की तैनाती में भी बेहतर योजना बनाई जा सकेगी। एक साथ चुनावों से ईवीएम और वीवीपीएटी का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है। एक साथ चुनाव केंद्र और राज्य स्तरों पर समन्वित नीतियों को बढ़ावा दे सकते हैं। एक साथ चुनाव से चुनाव संबंधी मुकदमों में कमी आ सकती है।

Chauri Chaura Times

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