बुलडोजर पर शीर्ष अदालत के आदेश से कांग्रेस-सपा खुश
लखनऊ 17 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में आपराधिक तत्वों पर बुलडोजर की कार्रवाई के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने स्वागत किया है और कहा है कि शीर्ष अदालत का यह फैसला भाजपा सरकारों की बुलडोजर नीति को आइना दिखाने वाला है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स पर पोस्ट किया “ भाजपा सरकारों की अन्यायपूर्ण और अमानवीय ‘बुलडोजर नीति’ को आईना दिखाने वाला माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। ऐसी बर्बर कार्रवाइयों के जरिये “देश के कानून पर बुलडोजर चलाकर” इंसानियत और इंसाफ को रौंदने वाली नीति एवं नीयत पूरे देश के सामने बेपर्दा हो चुकी है। वे समझते हैं कि ‘त्वरित न्याय’ की आड़ में जुल्म और नाइंसाफी के बुलडोजर से संविधान को कुचलकर भीड़ और भय का राज स्थापित किया जा सकता है लेकिन यह देश संविधान से चलता है और संविधान से ही चलेगा। अदालत ने साफ कर दिया है कि ‘बुलडोजर अन्याय’ स्वीकार्य नहीं है।”
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा “ हम सुप्रीम कोर्ट को बधाई देते है। आभार प्रकट करते है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद है कि बुलडोजर कार्रवाई हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।”
उन्होने कहा कि न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को ही नहीं, बल्कि बुलडोजर का दुरूपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है। आज बुलडोजर के पहिए खुल गए है और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया हैं ये उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोजर को अपना प्रतीक बना लिया था।
श्री यादव ने कहा कि अब न बुलडोजर चल पाएगा, न उसको चलवाने वाले दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है। लोकतंत्र में बुलडोजर की कार्रवाई न्याय नहीं हो सकता है। उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई की कई ऐसी घटनाएं हुई हैं। जब कभी न्यायालय उन पर विचार करेगा तो उस पर सरकार के खिलाफ कार्रवाई होगी क्योंकि प्रदेश सरकार ने जानबूझकर, लोगों को डराने के लिए जबरदस्ती बुलडोजर चलाया है। इस भाजपा सरकार ने बुलडोजर को औजार के रूप में प्रयोग किया। विपक्ष और जनता की आवाज को दबाने के लिए दुरुपयोग किया गया।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर कहा कि बिना उसकी अनुमति किसी भी आपराधिक मामले में राज्यों द्वारा आरोपी की संपत्ति नहीं गिराया जाएगा। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता जमीयत उलमा ए हिंद की याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई (आपराधिक मामले के आरोपी की अचल संपत्ति गिराना) संविधान की भावना के विरुद्ध है।