उत्तरप्रदेश

‘‘उपचाराधीन टीबी और कुष्ठ रोगी से बीमारी के संक्रमण का खतरा नहीं’’

गोरखपुर, एक बार टीबी और कुष्ठ मरीज का इलाज जब शुरू हो जाता है तो दो से तीन हफ्ते बाद उसके जरिये दूसरे लोगों तक बीमारी पहुंचने की आशंका कम हो जाती है। दोनों बीमारियों की शीघ्र पहचान हो जाए और इलाज करवा दिया जाए तो महज छह माह में ठीक हो जाती हैं। बीमारी की पहचान और इलाज में देरी होने पर ही जटिलताएं बढ़ती हैं। साथ ही इलाज की अवधि भी बढ़ जाती है।

यह संदेश शहरी क्षेत्र की सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अभिमुखीकरण कार्यक्रम में विकास भवन सभागार में गुरूवार को दिया गया। इस संदेश को उन्हें जन जन तक पहुंचाने के लिए कहा गया है। जिला विकास अधिकारी राज मणि वर्मा की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में जिला क्षय और जिला कुष्ठ उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने दोनों बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अभिनव कुमार मिश्र ने स्वास्थ्य विभाग को आश्वस्त किया कि अभिमुखीकरण कार्यक्रम के बाद दोनों बीमारियों के उन्मूलन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मददगार बनेंगी।

डॉ यादव ने कहा कि दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, तेजी से वजन गिरना, कुपोषण, भूख न लगना, शाम को पसीने के साथ बुखार आना, बलगम में खून आना, सांस फूलना और सीने में दर्द टीबी के प्रमुख लक्षण हैं। यह लक्षण दिखने पर त्वरित जांच और इलाज करवाना चाहिए। एक बार इलाज शुरू हो जाने के बाद मरीज का खुद का तो जीवन सुरक्षित होता ही है, साथ में दूसरे लोग भी इस बीमारी के संक्रमण से बच जाते हैं।

उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चे कई बार टीबी के लक्षण बता नहीं पाते हैं। ऐसे में अगर उनका तेजी से वजन गिर रहा हो, वह अति कुपोषित दिख रहे हों, भूख न लग रही हो और सुस्ती दिखती हो तो टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए। अगर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी नये टीबी मरीज को नोटिफाई करवाती हैं तो उन्हें भी इफार्मेंट योजना के तहत पांच सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। एक बार टीबी का इलाज शुरू होने के बाद बीच में मरीज की दवा न बंद हो, इस बात का खासतौर से ध्यान रखना है। दवा बंद हो जाने के बाद वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में बदल जाती है और ऐसी जटिल टीबी का इलाज करने में डेढ़ से दो साल तक का समय लग जाता है।

इस मौके पर डॉ यादव ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से अपील की कि वह पंद्रह सितम्बर तक चलने वाले कुष्ठ रोगी खोजी अभियान और बीस सितम्बर तक प्रस्तावित सक्रिय क्षय रोग खोजी अभियान में मदद करें। दोनों बीमारियों के नये मरीजों को खोजने में सहयोग करें। इस अवसर पर पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, एसटीएलएस राघवेंद्र तिवारी,एनएमएस पवन कुमार श्रीवास्तव, मुख्य सेविका मोहित सक्सेना, शक्ति पांडेय, इंद्रनील कुमार और आशा मुनि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

सुन्न दाग धब्बे की करनी है पहचान

शहरी क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शमा ने बताया कि पहली बार टीबी और कुष्ठ के बारे में विस्तृत जानकारी मिली है। अगर किसी के शरीर पर उसके चमड़ी के रंग से हल्का व सुन्न दाग धब्बा है तो उसे कुष्ठ भी हो सकता है। ऐसे मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए भेजेंगे। कुष्ठ के इलाज में देरी होने पर वह दिव्यांगता का रूप ले सकता है। शीघ्र इलाज से मरीज के साथ परिवार और समाज को भी इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

Chauri Chaura Times

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button