एक अध्यापक आजीवन विद्यार्थी होता हैं- प्रो. सदानन्द प्रसाद गुप्त
गोरखपुर,(दिनेश चंद्र मिश्र) उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष प्रो सदानंद प्रसाद गुप्त ने आज यहां कहा कि एक अध्यापक आजीवन विद्यार्थी होता हैए क्योंकि वह निरंतर सीखता रहता है।
गोरखपुर में स्थित महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड गोरखपुर के बी.एड्. विभाग के तत्वावधान में आयोजित .शिक्षक दिवस. पर आदर्श शिक्षक सम्मान एवं व्याख्यान कार्यक्रम में .शिक्षक आचरण एवं व्यवहार.0 विषय पर बोलते हुए प्रो. गुप्ता नरे कहा कि शिक्षक को ज्ञान संपन्न, जिज्ञासु तथा खुले नेत्रों वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक में ज्ञान का प्रबल स्पन्दन होना चाहिए जिससे वह सुचारु रूप से शिष्य.मन में संचरित हो जाय।
दिग्विजयनाथ पी जी कॉलेज गोरखपुर के पूर्व प्राचार्य डॉण् शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि
एक शिक्षक का हृदय और मन पवित्र, निष्कपट, निष्पाप, त्यागपूर्ण, समर्पित एवं सच्चरित्रता जैसे उच्च आदर्शों से युक्त होने के साथ.साथ उसें पूर्ण शुद्ध.चित्त होना चाहिए तभी उसके शब्दों का मूल्य होगा।
उन्होंने कहा कि एक कुशल अध्यापक में तीन महत्त्वपूर्ण गुणो का समावेश होना चाहिए। प्रथम यह कि वह रुचि और आनंद के साथ विषय को प्रस्तुत करे, द्वितीय उसके द्वारा विषय का प्रवर्तन करते समय अवधारणात्मक स्पष्टता होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों में आसानी से समझ विकसित हो एवं तृतीय उसमें सदैव विषय के प्रति नवीनता और ग्रहणशीलता होनी चाहिए। वस्तुतः एक अध्यापक आजीवन विद्यार्थी होता है क्योंकि वह निरंतर सीखता रहता है। शिक्षक में ज्ञान का प्रबल स्पन्दन होना चाहिए जिससे वह सुचारु रूप से शिष्य.मन में संचरित हो जाय। शिक्षक को चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ, धार्मिक, संयमी, क्षमाशील तथा क्रियाशील होना चाहिए। उसमें अपने कार्यों के प्रति कभी भी उपेक्षा या उदासीनता नहीं होनी चाहिए बल्कि उसे सदैव कर्मशील होना चाहिए। विद्वानों का अभिमत है कि शिक्षक में विनयशीलता, सहनशीलता तथा धैर्यशीलता के गुण भी होने चाहिए।