लेख

भारत-एक अग्रणी विश्वगुरु

(प्रो. (डॉ.) टी जी सीतारम)
भारत आज विश्व ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है, इसकी समृद्ध ज्ञान की क्षमता, वेदों और उपनिषदों में स्पष्ट है। जो सदियों से ज्ञान के विशाल स्रोत के रूप में काम कर रहे हैं। नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ, भारत अतीत का एक अंतरराष्ट्रीय ज्ञान केंद्र रहा है और यही वजह है कि एक बार फिर हम विश्व-गुरु बनने के लिए खुद को पुन: स्थापित कर रहे हैं।
भारतीय शिक्षा के मूल्य और भारतीय विश्वविद्यालयों के महत्व में दुनिया भर में वृद्धि और प्रासंगिकता देखी जा रही है। हाल ही में लगभग 100 भारतीय विश्वविद्यालयों ने प्रतिष्ठित टाइम्स हायर एजुकेशन (ञ्ज॥श्व) पत्रिका द्वारा घोषित विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग में प्रवेश किया है। प्रथम स्थान पर प्रदर्शन करने वाला भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बैंगलुरु, 2017 के बाद पहली बार वैश्विक 250 रैंकिंग में लौटा है। सूची में 91 भारतीय विश्वविद्यालयों की उपस्थिति पिछले साल 75 की तुलना में महत्वपूर्ण वृद्धि है।
भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों की रैंकिंग, भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को सही मायने में अपनाया है और इस साल अभूतपूर्व 91 विश्वविद्यालयों ने टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जगह बनाई है, जिससे भारत अब रैंकिंग में चौथा सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया है।
ऐसे समय में जब विदेशी विश्वविद्यालयों से डिग्री लेना नवीनतम फैशन बन गया है तो भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर खुद को साबित कर रहे हैं। ञ्ज॥श्व पत्रिका रैंकिंग के अनुसार, भारत में दूसरे सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय- अन्ना विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज हैं। दो आईआईटी- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स) धनबाद अब दुनिया के शीर्ष 800 विश्वविद्यालयों में शामिल हो गई हैं, जबकि इससे पहले इनकी रैंकिंग 1001 से 1200 के बीच में थी।
भारत और दुनिया में विश्वविद्यालयों की रैंकिंग विभिन्न मापदंडों पर निर्भर करती है। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच बढ़ाने, विश्वविद्यालयों को आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस करने और भविष्य में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल और सुधार किए गए हैं। विश्वगुरु बनने के लिए भारत उच्च शिक्षण संस्थानों को उच्चतम मानक प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य पर केंद्रित है। जैसा कि प्रधान मंत्री ने कहा, “21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उन्हें प्राप्त करने में हमारी शिक्षा प्रणाली की बहुत बड़ी भूमिका है।” इसके तहत ही शिक्षा के वैश्विक प्रतिमान में विश्वविद्यालयों की रैंकिंग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
भारत का ‘कम लागत’ और ‘सर्वोत्तम गुणवत्ता’ का मॉडल भारतीय विश्वविद्यालयों को अपनी क्षमताओं को सार्वभौमिक रूप से प्रदर्शित करने का मार्ग प्रशस्त करता है। भारत की औद्योगिक प्रतिष्ठा, स्टार्टअप ग्रोथ और इकोसिस्टम में वृद्धि के साथ दुनिया में भारत की शिक्षा प्रणाली के प्रति सम्मान काफी बढ़ गया है। जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा इकोसिस्टम में आ रहे सकारात्मक बदलावों के कारण वैश्विक विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोलने के इच्छुक हैं। स्पष्ट है कि राष्ट्र की ताकत ज्ञान, संस्कृति और मूल्यों से तय होती है। उसी के अनुरूप ्रढ्ढष्टञ्जश्व सभी भारतीय शैक्षणिक संस्थानों को मानवीय मूल्यों, ज्ञान, सामाजिक चेतना के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि युवा अपने भविष्य के जीवन और राष्ट्र की नियति को आकार देने में सक्षम हो सकें।
लेखक अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं।

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