धार्मिक

सौभाग्य की कामना लिए डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ्य

गोरखपुर,(दुर्गेस) छठ महापर्व नहाय-खाय से शुरू हुए आस्था के छठ महापर्व का आज तीसरा दिन आज शाम के समय प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य को नदियों के घाटों तालाब पर पहुंचकर छठ व्रती महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। अर्घ्य के साथ पूजी जाने वाली छठी मैया का इतनी भक्ति-भाव से पूजा अर्चना घाटों पर छठ व्रती महिलाओं ने किया जहां पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की थी ड्रोन कैमरा से निगरानी किया जा रहा था घाघरा सरयू राप्ती रामगढ़ ताल नदियों तालाबों पर गोताखोरों एनडीआरएफ की टीम सदैव निगरानी बनाए रखें जहां एडीजी जोन अखिल कुमार डीआईजी गोरखपुर परिक्षेत्र गोरखपुर जे रविंदर गौड कमिश्नर रवि कुमार एनजी जिलाधिकारी कृष्ण करुणेश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गौरव ग्रोवर पुलिस अधीक्षक नगर कृष्ण बिश्नोई पुलिस अधीक्षक उतरी मनोज कुमार अवस्थी पुलिस अधीक्षक दक्षिणी अरुण कुमार सिंह पुलिस अधीक्षक अपराध इंदु प्रभा सिंह पुलिस अधीक्षक ट्रैफिक डॉ महेंद्र पाल सिंह पुलिस अधीक्षक मंदिर सुरक्षा राकेश सिंह समस्त सर्किल के क्षेत्राधिकारी समस्त तहसीलों के एसडीएम तहसीलदार डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर नगर आयुक्त अविनाश सिंह अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए घाटों पर निगरानी बनाए रखें जिससे छठ व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को बिना किसी बाधा के अर्घ्य दे सकें।
नहाय खाय से शुरू हुई छठ पूजा के तीसरे दिन सभी व्रतधारी आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दी खरना संपन्न होने के बाद आज प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य के लिए पहला अर्घ्य दिया।
मान्यता है कि शाम के समय भगवान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं ऐसे में महिलाएं अपने सुहाग और संतान की मंगलकामना लिए सायंकाल सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मांगी।
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व की षष्ठी तिथि पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद कल सोमवार को चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि पर उदयगामी सूर्य को उनकी प्रथम किरण ऊषा को अर्घ्य देते हुए इस पावन व्रत का पारण किया जाएगा।
सूर्य की कठिन साधना एवं तपस्या से जुड़ा व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है जिसमें महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना लिए 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं और सर्दी के समय ठंडे पानी में खड़े होकर विधि-विधान से प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा पूरे श्रद्धा एवं भाव के साथ करती हैं।
भगवान सूर्य के साथ पूजी जाने वाली छठी मैया का संबंध भाई-बहन का है प्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इनका नाम षष्ठी पड़ा, जिन्हें देवताओं की देवसेना भी कहा जाता है भगवान कार्तिकेय की पत्नी षष्‍ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है मान्यता है कि छठी मैया पूजा से प्रसन्न होकर नि:संतानों को संतान प्रदान करते हुए लंबी आयु का आशीर्वाद प्रदान करती हैं
डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने से पहले पूजा के लिए बांस की टोकरी को फल-फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू और पूजा से जुड़े अन्य सामान को रखकर सजाया जाता है
सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को दिये जाने वाले अर्घ्य को संध्या अर्घ्य भी कहते हैं, जिसे देने से व्रतधारी छठी मइया की पूजा करते हैं. शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी पांच बार परिक्रमा करते हैं
सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को दिये जाने वाले अर्घ्य को संध्या अर्घ्य भी कहते हैं, जिसे देने से व्रतधारी छठी मइया की पूजा करते हैं. शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी पांच बार परिक्रमा करते हैं
जिसमें चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है।

Chauri Chaura Times

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