इंटरनेट का जमाना है।इसका क्रेज इतना बढ़ गया है कि उठते बैठते, चलते- फिरते लोग इसका उपभोग कर रहे हैं।यहां तक कि भोजन करते समय भी लोग इंटरनेट से अलग नहीं हो पा रहे हैं। कोरोना क्या आया, उसने सभी को मोबाइल और इंटर नेट पर न केवल निर्भर बना दिया अपितु इसका लती भी बना दिया।इस समय मोबाइल के बिना लोगों को चैन नहीं आ रहा है। तरह-तरह के काम मोबाइल से किये जा रहे हैं। पढ़ाई-लिखाई से लेकर शापिंग, कविता, कहानी लिखना-पढ़ना,कला -संगीत सब कुछ मोबाइल से जुड़ गया है।इन सब गतिविधियों के साथ ही एक काम मोबाइल द्वारा रील बनाकर सोशल मीडिया पर डालना भी हो गया है।जगह -जगह युवा लड़के व लड़कियां ही नहीं ,बूढ़े नर -नारी तक और बच्चों के मां-बाप अपने छोटे-छोटे बच्चों का रील बना कर सोशल मीडिया पर डालकर प्रसिद्धि पाना चाह रहे हैं। यही नहीं पानी में खड़े होकर, रेलवे लाइन पर खड़े होकर , चौराहों पर डांस करते हुए,लड़के ,मोटरसाइकिल पर स्टंट करते हुए पहाड़ों पर बैठकर या छत से लटकते हुए युवा वर्ग रील बना कर सोशल मीडिया पर डालकर अपना प्रचार -प्रसार कर रहा है।इस दिखावेपन और प्रसिद्ध होने की लालसा में बहुत से युवा वर्ग की जान तक चली जा रही है।न जाने ये रील बनाने का शौक और प्रसिद्धि की चाहत आदमी को कहाँ ले जायेगा , ईश्वर जाने।
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पार्वती देवी “गौरा” देवरिया