उत्तरप्रदेश

शक्तिपीठ में योगी ने की कलश स्थापना

गोरखपुर,  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने पर शिवावतारी एवं नाथपंथ के प्रणेता गुरु गोरक्षनाथ की साधना स्थली गोरक्षपीठ में लोक कल्याण की मंगलकामना के साथ आदिशक्ति की विशेष उपासना परंपरा के अनुसार वैदिक विधि विधान से कलश स्थापना की।
योगी ने मंदिर में स्थित शक्तिपीठ में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना कर प्रथम दिन मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की। दो घंटे तक चला पहले दिन का अनुष्ठान जगतजननी की आराधना, देवी पाठ, आरती और क्षमा प्रार्थना के साथ पूर्ण हुआ।
कलश स्थापना के पूर्व गोरखनाथ मंदिर परिसर में परंपरागत भव्य कलश शोभायात्रा श्रद्धाभाव से निकाली गई। शाम करीब साढ़े पांच बजे मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ को गोरक्षपीठाधीश्वर ने परंपरागत रूप से अपने हाथों से शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ का त्रिशूल देकर रवाना किया। योगी कमलनाथ के नेतृत्व में साधु संतों की शोभायात्रा मां दुर्गा के जयघोष के बीच पौराणिक मान्यता वाले भीम सरोवर पर पहुंची। जहां कलश भरने और सरोवर की परिक्रमा के बाद शोभायात्रा वापस शक्तिपीठ पहुंची।
मठ के भूतल पर जल भरा कलश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं उठाया और शक्तिपीठ के गर्भगृह में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वरुण देवता का आवाहन कर कलश स्थापित किया। गोरक्षपीठाधीश्वर ने सबसे पहले मां दुर्गा, भगवान शिव और गुरु गोरखनाथ के शस्त्र त्रिशूल को प्रतिष्ठित करके गौरी.गणेश की आराधना की। इसके साथ ही दुर्गा मंदिर ;शक्तिपीठ, के गर्भगृह में श्रीमद् देवीभागवत का पारायण पाठ एवं श्रीदुर्गासप्तशती के पाठ का भी शुभारंभ हो गया। पाठ के बाद आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया। आरती में मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ भी सम्मिलित रहे।
मुख्यमंत्री योगी नवरात्रि के दौरान नौ दिन व्रत रहेंगे। योगी के व्रत का यह सिलसिला गोरक्षपीठ में उनके आगमन के साथ से ही ढाई दशक से अधिक समय से जारी है। मुख्यमंत्री बनने से पूर्व योगी आदित्यनाथ पूरी नवरात्र गोरखनाथ मठ के पहले तल पर ही प्रवास कर उपासना में रत रहते थे। मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी को देखते हुए वह प्रवास पर मंदिर में आते हैं। इस दौरान चलने वाली शेष पूजा आराधना का क्रम अनवरत जारी रहता है।

Chauri Chaura Times

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