गोरखपुर(दुर्गेश मिश्र)। भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश पाण्डेय के अनुसार पति की दीर्घायु कामना के लिए महिलायें 26 मई दिन सोमवार को वट सावित्री व्रत रहेंगी! इस व्रत को वरगदाई के नाम से भी जाना जाता है! मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने यमराज से छिनकर अपने पति का प्राण वापस लाई थीं तभी से विवाहित स्त्रियाँ इस दिन वटवृक्ष की पूजा करती हैं! वट सावित्री व्रत में पूजा करने का शुभ मुहूर्त प्रात: काल राहुकाल की समाप्ति के पश्चात 8 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 35 मिनट तक, दोपहर में अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक तथा अपरान्ह में 3 बजकर 45 मिनट से 5 बजकर 28 मिनट सायं काल तक है! सभी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है, इसका अधिकारिक नाम वट सावित्री ही है! इसके अनुयायी हिंदू भारतीय प्रवासी विशेष रूप से ज्येष्ठ मास की त्रयोदशी से अमावस्या तक मनाते हैं!वट सावित्री व्रत में वट एवं सावित्री दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है।
पीपल वृक्ष के समान ही वट यानी बरगद के वृक्ष का भी विशेष महत्व है! पराशर मुनि के अनुसार “वट मूले तोपवासा” ऐसा कहा गया है वट में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं का वास होता है! वटवृक्ष के नीचे बैठकर पूजन-अर्चन व्रत कथा इत्यादि करने व सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं! पुराण व्रत साहित्य में सावित्री की अविस्मरणीय साधना की व्याख्या की गई है ,सौभाग्य के लिए किया जाने वाला वट सावित्री व्रत आदर्श नारीत्व के प्रतीक स्वरुप स्वीकार किया गया है।
पं. बृजेश पाण्डेय ने पूजा विधि के बारे मे बताया कि महिलाओं को व्रत करने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है! पूजा के लिए सर्वप्रथम वट वृक्ष के पास रंगोली बनाकर उसके पास अपनी पूजा सामग्री रखें, पूजा स्थान पर गणेश जी तथा माता गौरी का आवाहन पूजन करें तत्पश्चात वरगद वृक्ष की पूजा करें और सावित्री देवी सहित ब्रह्मा,विष्णु, महेश की पूजा करें।
पूजा में गंगाजल,मौली,रोली,कच्चासूत, भिगोया हुआ चना, वस्त्र,और दक्षिणा आभूषण इत्यादि अर्पित करें तत्पश्चात बाद वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और कच्चा सूत वटवृक्ष में लपेट दें और सावित्री-सत्यवान की कथा का पाढ करें तथा अन्य लोगों को भी सुनावें! निर्धन गरीब स्त्री को सुहाग की सामग्री देंना चाहिए इससे संतान एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है! इस व्रत में दिनभर पानी नहीं पीना चाहिए उस दिन फल अनाज मौसमी फल तरबूज, खरबूजा,आम , लीची और अनाज में गेहूं, चावल, चना, सत्तू दान करना बहुत ही पुण्य दाई होता है! सायंकाल मे यही फलाहार करने का विधान है! सावित्री ने अपने पति की प्राण रक्षा के लिए वटवृक्ष के नीचे ही विधि पूर्वक पूजा की थी इसी मान्यता को लेकर आद भी महिलाएं अपनी पति की लम्बी आयु एवं चिरायु संतान के लिए पूजा करती है।
वट सावित्री व्रत 26 मई को,सौभाग्य प्राप्ति के लिए महिलायें रहेंगी निराजल व्रत – पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य
