Tuesday, May 13, 2025

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वासंतिक नवरात्र व भारतीय नव वर्ष आज से प्रारम्भ,आठ दिन की होगी नवरात्रि

गोरखपुर (दुर्गेश मिश्र) । भारतीय विद्वत् महासंघ के केन्द्रीय महामंत्री व श्री हनुमत ज्योतिष सेवा संघ के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पण्डित बृजेश पाण्डेय ने बताया कि इस बार वासंतिक या चैत्र नवरात्रि आठ दिन का ही है! आज 30 मार्च दिन रविवार को प्रतिपदा तिथि 20 घटी 52 पला यानी दिन में 2 बजकर 14 मिनट तक है रेवती नक्षत्र 30 घटी 53 पला यानी सायं काल 6 बजकर 14 मिनट तक है तथा ऐन्द्र योग वव करण है।
आज सूर्योदय प्रातः काल 5 बजकर 53 मिनट से ही कलश स्थापना, ध्वजारोहण तथा नवरात्रि व्रत रहने वाले भक्तगण व्रत रहेंगे इस बार नवरात्रि मे पंचमी तिथि का क्षय होने से महाष्टमी व्रत 5 अप्रैल शनिवार को किया जाएगा तथा रात्रि में महाष्टमी एवं महानिशा पूजा भी कि जाएगी।
महानवमी व्रत 6 अप्रैल दिन रविवार को है और इसी दिन नवरात्रि व्रत रहने वाले व दुर्गा सप्तशती पाठ करने या कराने वाले भक्तगण हवन करेंगे! महानवमी या रामनवमी के दिन मध्यान्ह मे कर्क लग्न 11 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है तथा 2 बजकर 15 मिनट तक है इसी बीच मध्यान्ह मे श्रीराम जन्मोत्सव मनाया जाएगा तथा पहला दिन और अष्टमी व्रत रहने वाले भक्तगण हवन के पश्चात पारण करेंगे! नौ दिन व्रत रहने वाले श्रद्धालु 7 अप्रैल दिन सोमवार को पारण करेंगे!
नवरात्रि में मांँ भगवती दुर्गा देवी के नौ स्वरुपों की पूजा करने से मनोवांछित फल कि प्राप्त होती है! प्रथम शैलपुत्री,द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघंटा ,चतुर्थ कुष्मांडा,पंचम स्कंदमाता,षष्ठम् कात्यायनी,सप्तम कालरात्रि,अष्टम महागौरी,नवम सिद्धिदात्री की पूजन करनी चाहिए! साथ ही ज्योतिषाचार्य पण्डित बृजेश पाण्डेय ने यह भी बताया कि आज 30 मार्च से ही भारतीय हिन्दू नववर्ष प्रारम्भ हो रहा है तो कलश स्थापना के समय संकल्प में कालयुक्त नामक संवत्सर प्रारम्भ हो जाएगा जो वर्ष पर्यन्त कालयुक्त नामक संवत् का ही प्रयोग किया जाएगा! ज्योतिषाचार्य के अनुसार संवत् 2082 शक: 1947 मे राजा सूर्य है तथा मंत्री भी सूर्य ही है,जिसके फल स्वरूप राज सत्ता के पदाधिकारियों में परस्पर सम्बंध अनुकूल रहेगा,विश्व व्यापार में परिवर्तन बनकर सुधार होगा! भारत का पश्चिमी देशों से व्यापार बढ़ेगा तथा आयात -निर्यात का केन्द्र बनकर भारत कि ख्याति विश्व पटल पर बढ़ेगी! महंगाई की समस्या रहेगी साथ ही भारत को अपने पड़ोसी देशों से सावधान रहना पड़ेगा।

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