लखनऊ 31 मई (वार्ता) उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश भर में एक महत्वाकांक्षी डिजिटल पर्यटन पहल शुरू करने जा रही है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि राज्य का पर्यटन विभाग 100 प्रमुख पर्यटन स्थलों पर क्यूआर कोड आधारित ऑडियो टूर पोर्टल और सामग्री विकसित कर रहा है।
उन्होंने कहा “ इस पहल का उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों पर्यटकों को राज्य के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के माध्यम से एक अनूठी, जानकारीपूर्ण और मनोरंजक यात्रा प्रदान करना है। परियोजना की मुख्य विशेषता क्यूआर-आधारित ऑडियो टूर की शुरुआत है जो प्रत्येक स्थान के महत्व के बारे में 5 से 7 मिनट की कहानी सुनाने का अनुभव प्रदान करती है।”
सूत्रों ने बताया कि ये ऑडियो कथाएँ हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी, कन्नड़, ओडिया और मलयालम सहित 10 क्षेत्रीय भाषाओं और 5 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं, फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, जापानी और मंदारिन में उपलब्ध होंगी, जिससे सामग्री व्यापक रूप से सुलभ हो जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि उच्च-गुणवत्ता वाला अनुभव सुनिश्चित करने के लिए, ऑडियो कहानियों को पेशेवर वॉयसओवर कलाकारों द्वारा रिकॉर्ड किया जाएगा और ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संदर्भों को जीवंत करने के लिए पृष्ठभूमि संगीत एवं परिवेशी ध्वनियों की सुविधा होगी।
सूत्रों ने बताया कि यह परियोजना पूरे यूपी में 100 चयनित पर्यटक स्थलों को कवर करेगी।
उन्होंने कहा “ इनमें प्रयागराज में त्रिवेणी संगम और आनंद भवन, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि और कनक भवन, वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा आरती, आगरा में ताजमहल, मथुरा-वृंदावन में श्री कृष्ण जन्मभूमि और बांके बिहारी मंदिर और लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा जैसे प्रतिष्ठित स्थान शामिल हैं।”
सूत्रों ने बताया कि इन स्थानों पर स्टेनलेस स्टील पर उकेरे गए मौसम-रोधी क्यूआर कोड लगाए जाएंगे।
उन्होंने कहा “ पर्यटक ऑडियो टूर तक पहुंचने के लिए इन कोड को स्कैन कर सकते हैं।”
सूत्रों ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार का यह प्रयास डिजिटल तकनीक के माध्यम से पर्यटन को आधुनिक और सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा “ क्यूआर कोड को यूपी पर्यटन वेबसाइट और मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड और आईओएस दोनों) से जोड़ा जाएगा, जिससे सामग्री तक आसानी से पहुँचा जा सकेगा। इसके अलावा ऑफ़लाइन पहुँच भी उपलब्ध होगी, ताकि पर्यटक कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी जानकारी प्राप्त कर सकें।”
सूत्रों ने बताया कि सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जैसे संस्थानों के इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और सांस्कृतिक विशेषज्ञों की एक टीम स्क्रिप्ट की समीक्षा करेगी।
उन्होंने कहा “ इससे यह सुनिश्चित होगा कि जानकारी ऐतिहासिक रूप से सटीक, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक और आगंतुकों के लिए दिलचस्प है।”