आज बीमारियों से होने वाली मौतों में 70 प्रतिशत जीवनशैली पर आधारित बीमारियों के चलते हो रही हैं – प्रो भट्ट
गोरखपुर, किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ के पूर्व कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कहा कि जीवनशैली से संबंधित बीमारियां 21वीं सदी के लिए चुनौती हैं। आज बीमारियों से होने वाली मौतों में 70 प्रतिशत जीवनशैली पर आधारित बीमारियों के चलते हो रही हैं। आज के दौर में स्वास्थ्य रक्षण के लिए महर्षि वागभट्ट के द्वारा उपायों पर अमल करते हुए ऋतुचर्या, दिनचर्या के अनुरूप स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की आवश्यकता है।डॉ. भट्ट महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार के गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में सातवें आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि जयंती साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत बुधवार को ‘महर्षि वागभट्ट : स्वस्थ जीवन शैली एवं आरोग्य’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने महर्षि वागभट्ट के जीवन व उनके कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि महर्षि वागभट्ट, महान ज्ञानी महर्षि चरक के शिष्य थे। आयुर्वेद के सभी आठ अंगों का सारगर्भित वर्णन करने का श्रेय महर्षि वागभट्ट को जाता है। उन्होंने अष्टांग हृदय के अलावा आयुर्वेद के अनेक अनमोल ग्रंथों की रचना की। अष्टांग हृदय में ही आज भी अति लोकप्रिय पंचकर्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। दीर्घ जीवन पाने के उपायों पर प्रकाश डालते हुए महर्षि वागभट्ट ने त्रिदोषों की साम्यावस्था को ही स्वास्थ्य बताया है। उनका जोर बीमारी को ठीक करने के साथ स्वास्थ्य रक्षा पर भी रहा।
प्रो भट्ट ने बताया कि वागभट्ट के अनुसार वैद्य, औषधि, परिचारक व मरीज चिकित्सा के चतुष्पाद हैं। ये चारों ठीक हों तो चिकित्सा समग्रता में सफल होती है। वागभट्ट दशविध पापों की भी चर्चा करते हैं जो सामाजिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
वागभट्ट का मानना था कि 85 प्रतिशत व्याधियां को ठीक करने के लिए दवाओं की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग के समन्वय से जीवनशैली को प्रबंधित किया जा सकता है। नियमित सूर्य नमस्कार व योग के सामान्य आसनों का प्रभाव कोई व्यक्ति कुछ ही दिन में महसूस कर सकता है। प्रो भट्ट ने कहा कि आज के दौर में आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा को साथ साथ चलना चाहिए। इसके लिए यह भी जरूरी है कि छात्र आयुर्वेद की अपार संभावनाओं को जानें, उसके अनुसंधान से जुड़ें। आयुर्वेद के छात्रों को संस्कृत भाषा को गहराई से जानना चाहिए तभी वे आयुर्वेद का सार्थक ज्ञान हासिल करने के सक्षम हो पाएंगे। उन्होंने गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में व्यवहार परक शिक्षण व्यवस्था व संसाधनों की तारीफ करते हुए कहा कि यह आयुर्वेद कॉलेज बहुत जल्द ही उत्तर भारत का सर्वोत्कृष्ट संस्थान होगा। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने कहा कि महर्षि वागभट्ट द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में दिए गए योगदान पर मानव समाज सदैव उनका ऋणी रहेगा। उन्होंने सारगर्भित और सहज व्याख्यान के लिए प्रो एमएलबी भट्ट के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज की प्राचार्य डॉ डीएस अजीथा, डॉ गणेश पाटिल, डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ पीयूष वर्षा आदि की सहभागिता रही। धन्वंतरि व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दीक्षा, जाह्नवी राय, प्रिंस, साक्षी सिंह, निधि ने की जबकि मंच संचालन वैभव दूबे ने किया।आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि पर्व साप्ताहिक समारोह के ही अंतर्गत बुधवार को गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के छात्रों ने प्राथमिक विद्यालय बैजनाथपुर के छात्रों व अन्य ग्रामीणों में आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का वितरण कर इन पौधों के बारे में जागरूक किया। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय परिसर में पौधरोपण भी किया गया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका शालिनी त्रिपाठी ने आयुर्वेद कालेज की इस पहल की मुक्त कंठ से सराहना की।