Tuesday, June 17, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

सोम पान के द्वारा हम अपने जीवन को पवित्र मधुर उत्तम संकल्पों वाला व उज्जवल ज्ञान के प्रकाश वाला बनायें!

सोम पान के द्वारा हम अपने जीवन को पवित्र मधुर उत्तम संकल्पों वाला व उज्जवल ज्ञान के प्रकाश वाला बनायें!
(पवस्य मधुमत्तम इन्द्राय सोम क्रतुवित्तमो मद:! महि द्युक्षतमो मद:! ६९२-२
व्याख्या प्रस्तुत दो मन्त्रों का ऋषि गौरिवीत शाक्त्य है! आचार्य दयानंद इसका अर्थ करते हैं
यो गौरीं वाचन व्येति जो वाणी के विषय को व्याप्त करता है! वृहस्पति शब्द की मूल भावना वाणी का पति ही है! शाक्त्य: की भावना है शक्ति का पुत्र अर्थात शक्तिशाली! यही भावना भरद्वाज शब्द में निहित है! भरी है जिसने शक्ति अपने अंदर यह ऐसा इसलिए बन पाया है कि इसने सोम के रहस्य को समझकर उसका पान किया है! यह सोम से कहता है कि हे सोम! तू इन्द्राय पवस्य जितेन्द्रिय पुरुष के लिए पवित्रता करने वाली हो! यह वीर्य रक्षा शरीर को निरोगी बनाती है, क्योंकि यह रोग कृमियों को विशेष रूप से कम्पित करके दूर भगा देती है! यह मन को निर्मल बनाती है और बुद्धि को उज्जवल! यह शरीर मन और बुद्धि तीनों को ही पवित्र करती है!
२- हे सोम! तू मधुमत्तम:
अत्यंत माधुर्य वाला है अर्थात वीर्य पुरुष के जीवन को बड़ा मधुर बना देती है!
यह किसी से द्वेष तो करता ही नहीं, शक्ति सम्पन्न होने से यह सभी के हित में प्रवृत रहता है! इसमें आलस्य नहीं होता है, क्रियाशीलता व अव्याकुलता के कारण इसके सभी कार्य‌ मधुर बने रहते हैं! ३ – यह सोम एक ऐसे मद को हर्षातिरेक को प्राप्त कराने वाला होता है!
जो मद: क्रतुवित्तम: उत्तम संकल्पों को प्राप्त कराता है! सोम पान करने वाले पुरुष में अशुभ संकल्पों का जन्म नहीं होता, इसका मन शिव संकल्पों का आकर बनता है! ४- यह सोम जनित मद:महि द्युमत्तम: हर्ष व उत्साह का अतिरेक महत्
अत्यधिक व उत्साह ज्ञान प्रकाश के निवास वाला है!
इस सोम से ज्ञान का प्रकाश उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होता है! मन्त्र का भाव है कि- हम सोम पान के द्वारा हम अपने जीवन को पवित्र मधुर और उत्तम संकल्पों वाला व उज्जवल ज्ञान के प्रकाश वाला बनायें!

सुमन भल्ला
(वेद प्रचारिका महर्षि दयानंद सेवा समिति)

Universal Reporter

Popular Articles