Friday, May 16, 2025

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हिमालय में कुछ ग्लेशियर झीलें के फैलाव क्षेत्र के लिये हो सकता है बड़ा खतरा: सुहोरा टेक्नोलॉजीज

नयी दिल्ली, 21 मार्च (वार्ता) भारत की एक प्रमुख पृथ्वी अवलोकन और विश्लेषण कंपनी सुहोरा टेक्नोलॉजीज ने एक खतरनाक प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला है कि कैसे हिमालय में कुछ ग्लेशियल झीलें के फैलाव की एक संकटभरी प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला है जो उसके अनुसार इस क्षेत्र के समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा बन रही हैं।

कंपनी की एक अध्ययन रिपोर्ट में ग्लेशियर परिवर्तनों में तेजी के साथ, आपदा जोखिमों को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, नियंत्रित जल निकासी तकनीक और सामुदायिक तैयारी कार्यक्रमों का संयोजन आवश्यक को रेखांकित किया गया है।

डाउनस्ट्रीम स्पेस एनालिटिक्स में विशेषज्ञता रखने वाली इस कंपनी ने 21 मार्च को प्रथम संयुक्त राष्ट्र विश्व ग्लेशियर दिवस के अवसर पर जारी अपने शोध के माध्यम से भारत और पड़ोसी क्षेत्रों में हिमालय पर्वतमाला के सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र घाटियों में 630 ग्लेशियर क्षेत्रों में फैली लगभग 33,000 ग्लेशियल और गैर-ग्लेशियल झीलों और कुछ सप्राग्लेशियल (वृद्धि) झीलों की स्थिति प्रस्तुत की है।

कंपनी का कहना है कि उसकी इस रिपोर्ट के आधार पर संभावित खतरों की पहचान और आकलन करने में मदद मिलती है।

शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र की सभी झीलें नहीं फैल रही हैं, लेकिन इनमें से कुछ में खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है, जो सक्रिय निगरानी और शमन प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से प्रेरित ग्लेशियरों के पिघलने में वृद्धि के साथ, हाल के वर्षों में कई उच्च ऊंचाई वाली झीलों में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। सुहोरा द्वारा किए गए विश्लेषणों के अनुसार, भारतीय और पड़ोसी हिमालयी क्षेत्रों में कुछ ग्लेशियर झीलों का आकार उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया है, जिससे ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (ग्लोफ) का खतरा बढ़ गया है। विश्लेषण के अनुसार, ग्लेशियर झीलें ही एकमात्र चिंता का विषय नहीं हैं – ग्लेशियर खुद भी तेजी से पीछे हट रहे हैं।

रिपोर्ट में नेपाल-चीन सीमा पर एक विशेष ग्लेशियर, जिसे सुहोरा की निरंतर निगरानी के माध्यम से पहचाना गया है, ने अपने आकार में काफी बदलाव किया है, जो समय के साथ बर्फ के नुकसान का एक स्पष्ट पैटर्न दिखाता है।

ग्लोफ तब होता है जब इन ग्लेशियर झीलों को रोकने वाले प्राकृतिक बांध टूट जाते हैं, जिससे अचानक, विनाशकारी बाढ़ आती है। सिक्किम में 2023 में दक्षिण लहोनक झील का विस्फोट ऐसी आपदाओं का एक हालिया उदाहरण है, जो बुनियादी ढांचे को नष्ट कर सकता है, आजीविका को बाधित कर सकता है और जीवन को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकता है।

सुहोरा ने कहा है कि वह इन परिवर्तनों से उत्पन्न खतरों को कम करने के लिए उपग्रह खुफिया, सेंसर-आधारित निगरानी और पूर्वानुमान विश्लेषण को मिलाकर डाउनस्ट्रीम समाधानों को परिष्कृत करने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।

Universal Reporter

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