संचार प्रौद्योगिकी एक सरल तंत्र है ,जो तकनीकी उपकरणों के सहारे सूचनाओं का संकलन,संप्रेषण और प्रचार-प्रसार करता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में कम्प्यूटर और इंटरनेट ने महत्वपूर्ण स्थान ले लिया है, जिससे न केवल व्यवसायिक/वाणिज्यिक, जनसंचार शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार सम्बन्धी सूचनाओं का आदान-प्रदान तेजी से हुआ है बल्कि से बड़ी मात्रा में हमारा जनसामान्य हिन्दी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में जागरूक भी हुआ है।
संचार क्रान्ति के क्षेत्र में आया विस्फोट एक मौन भाषा क्रान्ति के वाहक के रूप में उभर कर सामने आया है, जो कि जनसामान्य को लाभान्वित करने के साथ ही साथ सुविधाजनक और किफायती भी है।यही कारण है कि आज विश्व जगत में इसने अपना लोकप्रिय स्थान हासिल कर लिया है। अभी तक भाषा( चाहे वो हमारी मातृभाषा हिन्दी हो या क्षेत्रीय)को मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता था, लेकिन आज न केवल मनुष्य की आवश्यकताओं को बल्कि मशीन , कम्प्यूटर, इंटरनेट और सोशल मीडिया की नई भाषाई मांगों को भी पूरा करना पड़ रहा है।
हमारी “हिन्दी” एक सशक्त भाषा है, जो कि हमारे बहुभाषी भारत देश की सबसे बड़ी सम्पर्क भाषा होने के साथ-साथ आज विश्व की तीन सबसे बड़ी भाषाओं में एक है। कारण यह है कि — लगभग एक करोड़ बीस लाख हमारे भारतीय मूल के नागरिक विश्व के 132 देशों में बिखरे हुए हैं, जिनमें आधे से अधिक हिन्दी भाषा को ही व्यवहार में लाते हैं। विगत 50 वर्षों में हमारी हिन्दी भाषा शब्द-सम्पदा का जितनी तेजी से विस्तार हुआ है,उतना शायद ही विश्व की किसी भाषा का नहीं हुआ। आज विदेशों में भी हिन्दी के पठन-पाठन और प्रचार-प्रसार का कार्य तेजी से हो रहा है। दूर-संचार माध्यमों से प्रसारित गीतों, फिल्मी गीतों, हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं आदि ने इसके प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अब तो मुक्त बाजार और वैश्वीकरण ने हिन्दी भाषा और साहित्य को समाज की जरूरत और माँगों के अनुकूल ढालने के लिए इसे कम्प्यूटर लिपि से जोड़ कर हिन्दी भाषा का व्याकरण वैज्ञानिक आधार पर बना लिया है, इसीलिए आज देवनागरी लिपि कम्प्यूटर यंत्र की प्रक्रिया के अनुरूप बन चुकी हो , जिसमें विश्व शकील किसी भी भाषा एवं ध्वनि का लिप्यांतरण किया जा सकता है और रोमन लिपि की तुलना में देवनागरी लिपि को अधिक वैज्ञानिक रूप में स्वीकार किया गया है। जैसे- जैसे विज्ञान और तकनीक, अन्तरिक्ष विज्ञान, अणु विज्ञान और उद्योग अपनी नई -नई मंजिलों को तय कर रही हैं, वैसे-वैसे हिन्दी शब्दावली को अधिक विकसित करने का प्रयास भी जारी है। इसके अतिरिक्त हिन्दी को विश्व भाषा बनाने में संचार माध्यमों विशेषकर इंटरनेट का विशेष योगदान रहा है। आज बाजार की स्पर्धा के कारण अंग्रेजी चैनलों का हिन्दी में रूपांतरण हो रहा है। अब तो सैकड़ो पत्र-पत्रिकाएँ इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।
अन्तत: हम कह सकते हैं कि भाषाएँ संस्कृति की वाहक होती हैं और संचार माध्यमों पर प्रसारित कार्यक्रमों से समाज के बदलते सच को हिन्दी के बहाने ही उजागर करती रही है, साथ ही साथ हिन्दी साहित्य को वैश्विक संदर्भ प्रदान करने में संचार क्रान्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आभार——
डाॅ० (कु०)शशि जायसवाल
स्वतंत्र लेखिका
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।
सम्पर्क सूत्र:- 8318922632