वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों और वित्तीय स्थितियों की निरंतर निगरानी की जरूरत
मुंबई, वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद ने सरकार और नियामकों द्वारा वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों, वित्तीय स्थितियों और बाजार के घटनाक्रमों की निरंतर निगरानी किये जाने की आवश्यकतायी है, ताकि किसी भी समस्या को कम करने तथा वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के लिए उचित और समय पर कार्रवाई की जा सके।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज यहां हुयी परिषद की 26वीं बैठक में यह बात कही गयी। परिषद ने 2023 में भारत द्वारा जी20 की अध्यक्षता किये जाने के दौरान उठाए जाने वाले वित्तीय क्षेत्र के मुद्दों के संबंध में की जा रही तैयारियों पर भी चर्चा की।
परिषद में अन्य बातों के साथ-साथ, अर्थव्यवस्था के लिए पूर्व चेतावनी संकेतकों और उनसे निपटने के लिए हमारी तैयारी, मौजूदा वित्तीय/ऋण सूचना प्रणाली की दक्षता में सुधार, वित्तीय बाजार अवसंरचना समेत प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थानों में शासन और प्रबंधन के मुद्दे, वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना, सभी वित्तीय सेवाओं और संबंधित कार्यों के लिए साझा केवाईसी, खाता एग्रीगेटर पर अद्यतन और अगले कदम, बिजली क्षेत्र के वित्तपोषण से संबंधित मुद्दे, नए आत्मनिर्भर भारत में गिफ्ट आईएफएससी की रणनीतिक भूमिका, गिफ्ट-आईएफएससी के अंतर-नियामक मुद्दे और सभी सरकारी विभागों द्वारा पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं की सेवाओं के उपयोग की आवश्यकता आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में वित्त राज्य मंत्रियों डॉ. भागवत किशनराव कराड और श्री पंकज चौधरी के साथ ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, वितत सचिव एवं व्यय विभाग के सचिव डॉ. टी. वी. सोमनाथन,आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, राजस्व सचिव तरुण बजाज, वित्तीय सेवाओं मामलों के सचिव संजय मल्होत्रा,मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री देबाशीष पांडा, पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुप्रतिम बंद्योपाध्याय, भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के अध्यक्ष रवि मित्तल, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण के अध्यक्ष इंजेती श्रीनिवास आदि मौजूद थे।