बच्चों के उपचार की विधा महर्षि कश्यप की देन : प्रो. मिश्र
गोरखपुर, आज के चिकित्सा जगत में बच्चों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक (पीडियाट्रिशियन) की बहुत मांग है। बहुत कम लोगों को यह बात पता है कि बच्चों में होने वाली व्याधियों के उपचार की विधा सैकड़ों वर्ष पूर्व भारतीय मनीषी परंपरा के मूर्धन्य विद्वान महर्षि कश्यप की देन है। महर्षि कश्यप ने गर्भस्थ शिशु से लेकर किशोरावस्था तक की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं और तद्नुरूप व्यवस्थाओं का व्यावहारिक मार्गदर्शन किया है। यह बातें राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय लखनऊ में कौमार्यभृत्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीएन मिश्रा ने कही। वह महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार के गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में सातवें आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि जयंती साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत शुक्रवार को ‘महर्षि कश्यप’ पर व्याख्यान दे रहे थे। प्रो. मिश्र ने कहा कि महर्षि कश्यप की संहिता आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की धरोहर है। कश्यप संहिता का मूल नेपाल के राजा के संग्रहालय में मिला। यह संहिता आयुर्वेद के आलोक में बच्चों के रोग व उपचार का व्यावहारिक ज्ञान देती है। इस संहिता के माध्य्म से महर्षि कश्यप ने बच्चों की चिकित्सा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। प्रो. मिश्र ने कहा कि महर्षि कश्यप न केवल बच्चों के उपचार की विधि बताते हैं बल्कि यह जानकारी भी देते हैं कि उनका पालन पोषण कैसे करना चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में वह गभर्वती महिला के स्वास्थ्य रक्षण का भी व्यवहार जनित तरीका बताते हैं। हर प्रकार के स्वास्थ्य रक्षण को लेकर आयुर्वेद परक आहार को लेकर उनका खासा जोर रहा है। उनका मानना था कि स्वास्थ्य परक जीवनशैली के लिए संतुलित और पोषक आहार अनिवार्य तत्व है। प्रो. मिश्र ने भारतीय स्वास्थ्य चिंतन के आधार पर गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) ने बहुत कम समय में उच्च स्तरीय अध्ययन व्यवस्था के साथ जिस तरह के व्यावहारिक प्रयास शुरू किए हैं, उनका पूर्वांचल को आरोग्यता प्रदान करने में महत्वपूर्ण दूरगामी परिणाम सामने आएगा। उन्होंने यहां के आयुर्वेद के छात्रों को सौभाग्यशाली बताया जिन्हें अध्ययन, शोध, अनुसंधान के साथ विशेषज्ञों के अनुभव व व्यावहारिक प्रयोग का लाभ मिल रहा है। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने की। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज की प्राचार्य डॉ डीएस अजीथा, डॉ गणेश पाटिल, डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ पीयूष वर्षा आदि की सहभागिता रही। धन्वंतरि व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति साक्षी सिंह, दीक्षा, प्रिंस ने तथा वंदे मातरम की प्रस्तुति आस्मा खातून, प्रेरणा, व स्वाति ने की। मंच संचालन खुशी मिश्रा ने किया।