उत्तरप्रदेश
भारतीयता और सनातन का विचार दीनदयाल जी के जीवन का मूल केंद्र था – कलराज मिश्रा
गोरखपुर, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय “राष्ट्रीय चेतना उत्सव”(24-26 सितंबर) विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन विशेष सत्र मेंमुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान के मा. राज्यपाल कलराज मिश्र शामिल हुए। विशिष्ट अतिथि गोरखपुर सांसद रवि किशन, पूर्व राज्यसभा सांसद, शिव प्रताप शुक्ला तथा पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश राजेंद्र सिंह ‘मोती’ रहे।प. दीनदयाल उपाध्याय की 106वी जन्म जयंती के अवसर पर मा. राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रशासनिक भवन में स्थापित दीनदयाल की प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया। इसके बाद दीक्षा भवन में आयोजित संगोष्ठी के विशेष सत्र में शामिल हुए। ।संगोष्ठी की महत्ता पर चर्चा करते हुए, मा. राज्यपाल ने कहा कि इस त्रि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सगोष्ठी का विषय अत्यंत ही समाचीन है। दीनदयाल उपाध्याय ने प्रारम्भ से ही सहज और सरल जीवन शैली को आत्मसात किया।1967 में वे जनसंघ के अध्यक्ष बने। भारतीयता और सनातन का विचार दीनदयाल जी के जीवन का मूल केंद्र था। उनके अनुसार धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के मूल में नैतिकता है। नैतिकता ही प्रजा को नियंत्रित करती है।राज्यपाल ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए बताया की एक कार्यकर्ता होने के नाते उनका दीनदयाल उपाध्याय से सम्पर्क होता रहता था। मैं उनकी सामूहिकता के विचार से बहुत प्रभावित था। उन्होंने अपने जीवन चिंतन में सामुहिकता को जीवंत बनाए रखने और नैतिकता को प्रधानता देने का प्रयास करते रहे।
दीनदयाल ने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिया। महामहिम ने उनके समर्पण के भाव का उदाहरण देते हुए बताया की किस प्रकार उन्होने अपने छात्र जीवन में अपनी कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों की पढ़ाई में सहायता करते थे। संगोष्ठी की शुरुआत में राज्यपाल ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया तथा सभी से दोहराने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने संविधान में उल्लेखित मौलिक कर्तव्यों का भी वाचन किया। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्चन के साथ हुआ। संगीत एवं कला विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रगान और कुलगीत की प्रस्तुति की
महामहिम ने दीनदयाल जी के विलक्षण प्रतिभा का वर्णन करते हुए एक संस्मरण को याद किया। उन्होंने कहा कि जब वो कानपुर में जनसंघ का प्रथम अधिवेशन था। जिसमे पण्डित जी ने वहां प्रस्तुत किए जाने वाले संकल्प को स्वयं लिपिबद्ध किया था। उनके इस कार्य से प्रभावित होकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने कहा था कि” यदि मुझे दो दीनदयाल उपाध्याय और एक अटल मिल जाए तो मैं पूरे भारत की दिशा बदल सकता हूं।”
राज्यपाल ने दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के साथ-साथ अर्थायाम के विचार को भी संगोष्ठी में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी मानते थे कि भारतीय अर्थ चिन्तन, भौतिकता और आध्यात्मिकता दोनो का समन्वय है।
महामहिम ने पंडित जी की पुस्तक ‘भारतीय अर्थ नीति निदेशन’ का वर्णन किया…
भूल गया राग रंग
भूल गई छकड़ी
तीन चीज याद रही
नून तेल लकड़ी।
उन्होंने कहा दीनदयाल जी मानते थे कि समाज को स्वस्थ रखना है तो समाज के हर व्यक्ति खासकर गरीब, वंचित के पास आर्थिक स्रोत पहुँचे। ऐसी अर्थव्यवस्था बनानी होगी की आर्थिक लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे। यही उनका अंत्योदय है। इसीलिए वह उत्पादन की बढ़ोतरी, उपभोग में संयम तथा वितरण में समानता की बात करते थे। दीनदयाल के विचार प्रधानमंत्री मोदी के मन्त्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ में समाहित है। सरकार गरीबों तक सभी सुविधाएं मुहैया करा रही हैं। दीनदयाल जी के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को प्रधानमंत्री मोदी चरितार्थ कर रहे हैं। उनके विचारों के द्वारा ही 2047 तक भारत विकसित ही नही सबसे संपन्न राष्ट्रों में स्थापित होगा।
महामहिम ने विश्वविद्यालय के कुलपति तथा समस्त शिक्षकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
विशिष्ट अतिथि गोरखपुर सांसद रवि किशन ने अपने संघर्ष के दिनों में पिताजी द्वारा बताई गई दीनदयाल जी के जीवन के विचारों से प्रभावित होने की बात कही। रवि किशन ने दीनदयाल के एकात्म मानवतावाद और अंत्योदय के विचार पर कहा कि समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को भी सामाजिक और आर्थिक लाभ मिले तभी सम्पूर्ण समाज और देश का विकास संभव है। वर्तमान मोदी सरकार तथा प्रदेश में योगी की सरकार उनके विचारों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से क्रियान्वित कर रही है। सभी विद्यार्थियों को दीन दयाल उपाध्याय जैसा व्यक्तित्व धारण करने की बात कही। विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश नरेन्द्र सिंह ‘मोती’*ने कहा कि आज की सरकार दीनदयाल जी के अंत्योदय की संकल्पना को धरातल पर उतारने का कार्य कर रही है।विशिष्ट अतिथि पूर्व राज्य सभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि दीनदयाल कहते थे मनुष्य और राष्ट्र के जीवन मे आर्थिक समृद्धि बहुत जरूरी है। उन्होंने पूँजीवाद तथा साम्यवाद में अंतर को दो नारो से समझाया – “हमारी मांगे पूरी हो चाहे जो मजबूरी हो।”, “राष्ट्रहित में करेंगे काम और काम का लेंगे पूरा दाम।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो राजेश सिंह कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने की बात 15 अगस्त 2021 और 15 अगस्त 2022 को कही है। इसके लिए छह संकल्पों पर कार्य करने को कहा था। यही दीनदयाल जी के प्रति असली श्रद्धांजलि है। कुलपति के कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय चेतना उत्सव का आयोजन कर देश पहला विश्वविद्यालय बन गया है जो इन संकल्पों पर व्यापक स्तर पर चर्चा कर रहा है। उन्होंने महामहिम को बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से नई शिक्षा नीति के अंतर्गत नैतिक शिक्षा प्रदान करने के लिए दो-दो क्रेडिट का पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा नाथ पंथ पर कोर्स तैयार किया गया है। कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो दीपक त्यागी ने किया।