लखनऊ(दुर्गेश मिश्र)। उत्तर प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी स्कूलों में नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों की अब खैर नहीं है। राज्य सरकार ने ऐसे मामलों पर सख्ती दिखाते हुए सभी जिलों में व्यापक स्तर पर जांच शुरू कर दी है।शिक्षा विभाग गृह और वित्त विभाग के साथ मिलकर विशेष अभियान के तहत फर्जी शिक्षकों की पहचान करेगा। पकड़े जाने पर न सिर्फ नौकरी छिनेगी, बल्कि अब तक मिले सभी वेतन और भत्तों की वसूली भी की जाएगी।बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, पिछले 15 वर्षों के दौरान 328 फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। विभाग अब इन शिक्षकों से वेतन और अन्य लाभों की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू कर रहा है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिला है कि अब इस तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के अनुसार, सरकार की मंशा साफ है-फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई है, उन्होंने न केवल शासन को धोखा दिया, बल्कि हजारों योग्य उम्मीदवारों का हक भी छीना है। ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।शासन ने यह भी साफ कर दिया है कि जो भी अभ्यर्थी नकली प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी में आने की कोशिश कर रहे हैं, वे सावधान हो जाएं। अब सभी नई नियुक्तियों में डिजिटली प्रमाणपत्र सत्यापन की प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही पहले से कार्यरत शिक्षकों की पुनः जांच भी की जाएगी।फर्जी शिक्षकों की पहचान में तेजी लाने के लिए सरकार तकनीक का सहारा ले रही है। डिजिटल डाटाबेस, विश्वविद्यालयों से डायरेक्ट वेरिफिकेशन, और दस्तावेजों की ई-स्क्रूटनी के माध्यम से प्रक्रिया को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाया जा रहा है।