टीबी बना नया खतरा

कोविड-19 महामारी के कारण टीबी का इलाज और निदान बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ। उसका बहुत खराब असर हुआ है। असर यह हुआ कि सालों से लगातार घट रहे टीबी के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
ये खबर अपने-आप में बेहद चिंताजनक है कि 20 साल में पहली बार टीबी के मामले बढ़े हैं। हमारे लिए ये बात इसलिए और भी ज्यादा परेशानी का कारण है कि जहां टीबी के मामले सबसे ज्यादा बढ़े, उनमें भारत से सबसे ऊपर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण टीबी का इलाज और निदान बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ। उसका बहुत खराब असर हुआ है। असर यह हुआ कि सालों से लगातार घट रहे टीबी के मामलों में वृद्धि देखी गई। दुनिया के सिर्फ आठ देशों में टीबी के दो तिहाई से ज्यादा मामले पाए गए हैं।
ये देश है: भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो। 2005 से 2019 के बीच टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी देखी गई थी, लेकिन 2020-21 में यह ट्रेंड पलट गया। दुनिया में जिन चार देशों में टीबी से सर्वाधिक मौतें हुईं, उनमें भी भारत पहले नंबर पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट से भारत सरकार को चौकस हो जाना चाहिए। टीबी पर नियंत्रण बड़ी मेहनत से पाई गई थी। अब ऐसा लगता है कि वैसा ही परिश्रम फिर से करना होगा। इसके लिए सबसे पहली जरूरत यह है कि पर्याप्त धन का आवंटन सरकार करे और उसके बाद अपनी और निजी क्षेत्र की एजसिंयों को समन्वित कर जोरदार अभियान चलाए। कोरोना महामारी ने हमें सिखाया है कि एकजुटता, प्रतिबद्धता और उपलब्ध उपायों का बराबर बंटवारा करते हुए ही हम स्वास्थ्य संबंधी खतरों से पार पा सकते हैं। अब सबक को टीबी पर लागू करने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2021 में 16 लाख लोगों की मौत टीबी से हुई, जो दो साल में 14 फीसदी की वृद्धि है। 2019 में 14 लाख लोगों की मौत टीबी के कारण हुई थी। 2020 में अनुमानत: 15 लाख लोग इस संक्रामक रोग का शिकार बने। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस भयानक रोग के खिलाफ लड़ाई में दुनिया इस वक्त एक अहम मोड़ पर खडी है। इस चेतावनी को दुनिया भर में गंभीरता से लिया जाना चाहिए।