Thursday, June 12, 2025

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विशेष पोक्सो अदालतें बनाने का उच्चतम न्यायालय का केंद्र, राज्यों को निर्देश

नयी दिल्ली, 15 मई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र और राज्यों से कहा कि वे प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट (पोक्सो) के तहत दर्ज मामले की सुनवाई सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए समर्पित विशेष अदालतें स्थापित करें।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि पर्याप्त अदालतें स्थापित करने से इस विषेश कानून के तहत तय समय-सीमा में मुकदमों को निपटने के प्रावधान‌ का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सकता है।

पीठ ने पाया कि केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता पाने वाले अधिकांश राज्यों ने पोक्सो मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के लिए अदालत द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन किया है।

हालांकि, पीठ ने कहा, “तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि जैसे कुछ राज्यों में लंबित पोक्सो मामलों की संख्या को देखते हुए अभी भी अधिक पोक्सो अदालतें बनाने की आवश्यकता है।

पीठ ने अपने 8-पृष्ठ के फैसले में कहा कि “हमारे विचार में, चूंकि पोक्सो अधिनियम के तहत जांच से लेकर सुनवाई तक सभी चरणों के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है। इसलिए जहां तक ​​संभव हो, इसका पालन किया जाना चाहिए।

पोक्सो मामलों के लिए विशेष अदालतों की संख्या अपर्याप्त होने के कारण सुनवाई पूरी करने के लिए अधिनियम में निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं किया जा रहा है।”

फैसले में कहा गया कहा है यह उम्मीद की जाती है कि केंद्र और राज्य सरकारें पोक्सो मामलों की जांच से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए उचित कदम उठाएंगी । पोक्सो मामलों की सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतें भी बनाएंगी।

शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आरोपपत्र दाखिल किए जाएं और सुनवाई अधिनियम में निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी हो।

देश में बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों में वृद्धि के संबंध में विभिन्न समाचार रिपोर्टों के बाद ‘रिपोर्ट की गई बाल बलात्कार की घटनाओं की संख्या में खतरनाक वृद्धि’ के तौर ऊदर्ज करने के बाद न्यायालय ने 2019 में शुरू की गई स्वतः कार्यवाही को बंद कर दिया।

अदालत ने तब निर्देश दिया था कि देश के प्रत्येक जिले में, यदि पोक्सो अधिनियम के तहत 100 से अधिक मामले हों तो एक विशेष या नामित विशेष अदालत स्थापित की जाएगी, जो पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को छोड़कर किसी अन्य अपराध की सुनवाई नहीं करेगी।

अदालत ने न्यायमित्र के रूप में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वी गिरी और उत्तरा बब्बर से पोक्सो अदालतों का राज्यवार विवरण प्रस्तुत करने को कहा था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने देश भर में बड़ी संख्या में पोक्सो मामलों लंबित संख्या को देखते हुए कानूनी प्रावधानों का पालन किए जाने वाले मापदंडों को निर्धारित किया था। इसी के मद्देनजर प्रत्येक राज्य में विशेष पोक्सो अदालतें स्थापित करने के निर्देश दिए थे।

शीर्ष अदालत ने 16 दिसंबर, 2019 को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों के लिए अलग-अलग मानदंड निर्धारित किए थे, जहां पॉक्सो मामलों की लंबित संख्या बहुत अधिक थी।

बीरेंद्र.अभय

Universal Reporter

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