देश

रंग लाया 40 वर्षों का संघर्ष, जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को मिला एसटी का दर्जा

श्रीनगर ,  जम्मू-कश्मीर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, केंद्र की भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लगभग 12 लाख पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दे दिया है। यह कदम केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा की चुनावी संभावनाओं को बढ़ावा देगा। भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में अगले विधानसभा चुनावों में 50 प्लस मिशन का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया।
उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा, पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह जी को धन्यवाद। यह केवल पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार में ही संभव हो सकता था, जिसमें जम्मू-कश्मीर को बदलने का साहस और दृढ़ विश्वास है।
पहाड़ी समुदाय के प्रमुख नेता, पूर्व मंत्री और कभी फारूक अब्दुल्ला के करीबी रहे सैयद मुश्ताक बुखारी ने कहा, 40 साल का संघर्ष आखिरकार रंग लाया है। हम भाजपा सरकार के शुक्रगुजार हैं। सैयद मुश्ताक बुखारी ने इस साल फरवरी में नेशनल कॉन्फ्रेंस छोड़ दी थी। बुखारी ने कहा, श्रेय भाजपा को जाता है। कांग्रेस ने हमेशा हमारे मुद्दे के साथ खिलवाड़ की। हम गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के बहुत आभारी हैं क्योंकि आखिरकार हमें न्याय मिला है।
उन्होंने कहा, यही कारण था कि मैंने नेशनल कांफ्रेंस छोड़ दी। अगर फारूक अब्दुल्ला कश्मीरियों के बारे में बात करते हैं, पंडित प्रेम नाथ डोगरा डोगरा समुदाय के बारे में बात करते हैं और मियां अल्ताफ गुर्जरों के बारे में बात करते हैं और वो सब कुछ सही है तो मुश्ताक बुखारी कैसे गलत हो गया। मैंने तो पहाड़ी लोगों के लिए न्याय की मांग की।
बुखारी ने आगे कहा, मेरा संघर्ष सफल हुआ है। अगर मैं बीजेपी में शामिल नहीं होता हूं तो भी मैं उनका पूरा समर्थन करूंगा। बुखारी ने कहा कि भाजपा की ओर से अभी तक उनके पास भगवा पार्टी में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि एसटी का दर्जा विधानसभा चुनाव से पहले 12 लाख से अधिक पहाड़ी समुदाय का विश्वास जीतने के लिए भाजपा की चुनाव पूर्व रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा, यह मेरे समुदाय के लिए अब तक का सबसे बड़ा उपहार है और हम भाजपा के लिए बहुत आभारी हैं और हमसे जो कुछ भी आवश्यक होगा वह करेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को अपनी राजौरी रैली में पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने का वादा किया था और यह भी आश्वासन दिया था कि गुर्जरों और बकरवालों का एक प्रतिशत हिस्सा भी पहाड़ी लोगों के पास नहीं जाएगा। अपने भाषण में शाह ने 1947 से गुर्जरों, बकरवालों और पहाड़ी लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करने के लिए कांग्रेस, नेकां और पीडीपी पर कटाक्ष किया था।
यह कहा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर का पहाड़ी समुदाय राजौरी, पुंछ, बारामूला, अनंतनाग और कुपवाड़ा जिलों में बड़े पैमाने पर निवास करता है। जहां 2011 की जनगणना में गुर्जर-बकरवाल की आबादी 1.25 मिलियन थी, वहीं पहाड़ी लोगों ने दावा किया कि उनकी आबादी जम्मू और कश्मीर में दो मिलियन से अधिक थी। पहाड़ी समुदाय में हिंदू, मुस्लिम शामिल हैं और यह काफी हद तक उनके द्वारा पहाडिय़ों में बोली जाने वाली भाषा से भी पहचाने जाते हैं। हालांकि, एक मोटे अनुमान के मुताबिक उनकी आबादी दस लाख है। वे मुख्य रूप से जम्मू के पुंछ और राजौरी जिलों और बारामूला जिले के उरी और कुपवाड़ा जिले के करनाह और तंगदार जिलों में झेलम और चिनाब नदियों के बीच के क्षेत्र में पाए जाते हैं।

Chauri Chaura Times

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button