लखनऊ, 25 फरवरी (वार्ता) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुये कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने राजनीतिक स्वार्थ के लिये सिर्फ लोगों को बांटने का काम किया है।
बजट सत्र के छठवें दिन विधान परिषद में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने संबोधन में उन्होने महाकुम्भ के आयोजन पर किये जा रहे दुष्प्रचार व राज्यपाल के अभिभाषण पर किए गए व्यवहार पर कहा कि विपक्ष का व्यवहार किसी भी आदर्श लोकतंत्र को स्वीकार नहीं होगा। महाकुम्भ दुनिया में अबतक हुए सभी आयोजनों के रिकॉर्ड को तोड़ रहा है। प्रयागराज महाकुम्भ ने प्रदेश में नए पंच तीर्थ को जोड़ा है, जिसके माध्यम से श्रद्धालु अयोध्या, काशी, गोरखपुर, मथुरा दर्शन करने लिए पहुंच रहे हैं।
योगी ने कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और अपने संवैधानिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के लिए ही वर्ष के शुरुआत में पहले सत्र में उनके द्वारा दोनों सदनों को एक साथ संबोधित किया जाता है। लोकतंत्र संवाद पर आधारित होता है, यह आवश्यक नहीं कि सभी लोग एक-दूसरे से सहमत हों, लेकिन मर्यादा और शालीनता का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के प्रति जिस प्रकार की अशोभनीय भाषा और नारेबाजी का प्रयोग किया गया, वह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अब तक 64 करोड़ श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन में शामिल हो चुके हैं, जो कि विश्व के किसी भी धार्मिक आयोजन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आज एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जहां अयोध्या, काशी, मथुरा-वृंदावन, गोरखपुर और प्रयागराज तीर्थाटन के नए केंद्र बन चुके हैं। प्रयागराज महाकुम्भ ने इन धार्मिक स्थलों को पंच तीर्थ के रूप में जोड़ दिया है।
योगी ने कहा कि महान कार्यों के प्रति समाज का रवैया तीन चरणों से गुजरता है उपहास, विरोध और अंततः स्वीकृति। यही हाल राम मंदिर निर्माण और महाकुंभ आयोजन के दौरान भी देखने को मिला। पहले विपक्ष ने तंज कसे, फिर विरोध किया, लेकिन अंततः वे भी इसी आस्था में समर्पित हो गए। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं संगम में स्नान कर आए, और नेता प्रतिपक्ष ने खुद को पहले सनातनी बताया, बाद में समाजवादी। यह उनकी स्वीकृति का प्रमाण है।
महाकुंभ की तुलना दुनिया के अन्य धार्मिक आयोजनों से करते हुए कहा कि मक्का में हज के दौरान 1.4 करोड़, वेटिकन सिटी में सालभर में 80 लाख, जबकि अयोध्या धाम में मात्र 52 दिनों में 16 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। इसी तरह, काशी, मथुरा-वृंदावन और अन्य तीर्थों में भी करोड़ों श्रद्धालु पहुंचे, जिससे यह साबित हुआ कि भारत की सनातन परंपरा केवल धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं, बल्कि विश्व संस्कृति की आधारशिला है। कुछ लोग हर बार महाकुंभ को बदनाम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस आयोजन ने हर नकारात्मक प्रचार को ध्वस्त कर दिया।
मुख्यमंत्री ने गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने बताया कि प्रयागराज में वैज्ञानिक डॉ. अजय शुक्ला की लैब और उत्तर प्रदेश व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंगाजल स्नान योग्य ही नहीं, बल्कि अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध भी है।
योगी ने विपक्ष पर प्रयागराज महाकुंभ को बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार किया गया। कुछ लोगों ने दावा किया कि गोरखपुर-बस्ती मंडल के 35 लोग लापता हैं, लेकिन वे सभी सुरक्षित अपने घर लौट आए। श्रद्धालु 12-12 दिन तक कुंभ में घूमते रहे, भंडारों में भोजन किया और आश्रमों में विश्राम किया।
उन्होने कहा कि प्रदेश में कई कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। इसमें एक कॉरिडोर प्रयागराज से मां विंध्यवासिनी धाम होते हुए काशी तक के लिए जाता है। वहीं दूसरा कॉरिडोर गोरखपुर के आसपास के क्षेत्र में तैयार हुआ है। इसके अलावा अयोध्या के आसपास के क्षेत्र में तैयार हुआ है। वहीं लखनऊ और नैमिषारण्य के आसपास के क्षेत्र में तैयार हुआ है। मथुरा-वृंदावन के आसपास के क्षेत्र में भी तैयार हुआ है, जहां आ करके देश और दुनिया भर के लाखों श्रद्धालु दर्शन का लाभ ले रहे हैं। वह अपने साथ उत्तर प्रदेश की एक अच्छी धारण लेकर जा रहे हैं। यह वही उत्तर प्रदेश है, जहां के लोग पहले अपनी पहचान को छुपाते थे। प्रदेशवासियों के सामने अपनी पहचान का संकट खत्म हो गया है। आज उत्तर प्रदेश का परसेप्शन बेहतर हुआ है और महाकुम्भ ने उसको एक नई ऊंचाई दी है। एक नई पहचान दी है।