जैसा कि हम सब जानते हैं कि नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ,बोइंग कंपनी के स्टार लाईनर ( स्पेस क्राफ्ट) से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( आई एस एस) पर जून 2024 में,लगभग 08 दिनों के अंतरिक्षीय अन्वेषण के लिए गए थे लेकिन जब स्पेस क्राफ्ट जैसे ही आई एस एस के पास पहुंचा तभी उसमें तकनीकी खराबी आनी शुरू हो गई थी जिस कारण से उसके पांच थ्रस्टर्स कार्य नहीं कर पा रहे थे, और हीलियम का भी रिसाव हो रहा था जिस से एक के बाद एक और तकनीकी खराबी आती चली गई, इस कारण से इस अंतरिक्षीय मिशन को पूर्ण होने में लगातार देरी हुई, और दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 09 महीने से अधिक का समय लग गया पृथ्वी पर वापसी करने में, अब बारी थी एक नए जोखिम की क्योंकि नया स्पेस क्राफ्ट जोकि एलन मस्क की कम्पनी स्पेस एक्स द्वारा बनाया गया है , वह सफ़लतम स्पेस क्राफ्ट की श्रेणी में भी आता है ,इस बार अंतरिक्ष यात्रियों को लेने के लिए स्पेस एक्स का नया क्रू जोकि आई एस एस पर पहुंच कर उसके साथ डॉक हुआ ( आई एस एस से अंतरिक्ष में किसी स्पेस क्राफ्ट का जुड़ना उसे ही अंतरिक्ष की भाषा में डॉकिंग कहा जाता है) और कुछ ही घंटों के बाद वहां से उड़ान भर देता है, और लगभग 17 घण्टों का रोमांचकारी सफ़र पूरा होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यात्रियों और उनके दो अन्य साथी अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सकुशल पृथ्वी पर वापसी करने में सफल होता है,
अंतरिक्षीय सफ़र के दौरान क्या क्या कठिनाइयां हो सकती हैं
खगोल विद अमर पाल सिंह ने इस बारे में विस्तार से बताया कि अगर कुछ गड़बड़ी हुई या समस्या होती है तो अंतरिक्ष यात्रियों को इस दौरान कई प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, जो कि बहुत ही अलग प्रकार की हो सकती हैं, जैसे कि अगर आचनक से हीलियम गैस का रिसाव होना हो या थ्रस्टर्स का ठीक से काम न कर पाना हो या यान का ठीक से मैनेओवर न होना हो या सम्पर्क का ब्लैकआउट हो जाना हो या पृथ्वी पर वापसी के समय पैराशूट का ठीक से न कार्य करना हो या डॉकिंग या अंडॉकिंग का ठीक से न हो पाना हो या स्प्लैश डाउन लैंडिंग में कोई दिक्कत हो या री यूसेबल स्पेस फ़्लाइट में कहीं भी सफ़र के दौरान कोई तकनीकी खामी हो सकती हैं या अन्य जैसे कि यान का पृथ्वी के वायुमंडल को उच्च गति से पार करते समय यदि रॉकेट में कोई भी तकनीकी खराबी आती है तो उस से पार पाना नामुमकिन सा ही होता है, या फिर आई एस एस पर डॉकिंग न होने पर दिक्कत हो सकती हैं और इसी तरह से दुबारा भी स्पेस क्राफ्ट को हजारों किलोमीटर प्रति घंटे से पृथ्वी के वायुमंडल में री एंटर ( पुनः दाख़िल) होते समय भी भीषण गर्मी की बेरहम मार और वायुमंडलीय दबाव झेलना पड़ता है जिस दौरान अचानक कैप्सूल की शील्ड भी ख़राब हो सकती हैं अगर इस दौरान कोई भी तकनीकी खराबी या अन्य और खामी आती हैं तो भी काम तमाम हो जाता है, इसीलिए पहले से ही समस्त उपकरणों को भली भांति ऑन बोर्ड कम्प्यूटर तंत्रों से जांच कर लिया जाता है और उच्च गुणवत्ता वाले विशेष उपकरणों का ही उपयोग किया जाता है, जिस से किसी भी स्तर पर और कोई भी तकनीकी खामी की कतई भी गुंजाइश नहीं हो, क्योंकि कोई भी मानवीय जान किसी भी मिशन में हम जानबूझ कर ऐसे दाव पर नहीं लगा सकते, जिसकी सफलता सत प्रतिशत निश्चित न हो।
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि
इसीलिए अति उच्च स्तर और अग्रिम तकनीकी गुणवत्ता वाला स्पेस क्राफ्ट जोकि स्पेस-X कंपनी द्वारा निर्मित ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरिक्ष यात्रियों ने वापसी कर के मिशन को सफ़ल बनाया है जो नासा के कॉमर्सियल क्रू मिशन के लिए भी उपयोग किया जाता है।
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि क्या खासियत है इस स्पेस-X ड्रैगन की यह एक आधुनिक और उन्नत अंतरिक्ष यान है, जिसे एलन मस्क की कंपनी स्पेस-X ने बनाया है।
इसका पहला मॉडल 2010 में लॉन्च हुआ था, जबकि 2020 में क्रू ड्रैगन का पहला मानव मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
यह अंतरिक्ष यान एक साथ 7 अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने में सक्षम है और पूरी तरह से स्वयं चालित (ऑटोनॉमस) है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे मैन्युअली;( मानव नियंत्रण) द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता है,
इसमें आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं हैं, जो किसी भी आपातकालीन स्थितियों में अंतरिक्ष यात्रियों को हमेशा सुरक्षित रखने में सक्षम हैं ,अब तक के हुए कई प्रमुख मिशन में इस स्पेस एक्स ड्रैगन को कई सफ़ल मिशन में उपयोग किया जा चुका है, 2012 में यह (आई एस एस) तक कार्गो ( महत्वपूर्ण वस्तुएं) ले जाने वाला प्रथम निजी अंतरिक्ष यान बना, और 2020 में क्रू ड्रैगन ने नासा के लिए पहला मानव मिशन पूरा किया। इसके बाद से यह कई कॉमर्सियल ( व्यापारिक) और (साइंटिफिक) वैज्ञानिक मिशनों का हिस्सा रहा है,अब यह यान नियमित रूप से अंतरिक्ष यात्रियों और वैज्ञानिक उपकरणों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( आई एस एस) तक सफलतापूर्ण पहुंचाता है और वापस भी ले आता है। इसकी दोबारा उपयोग (री इयूसेबल) की क्षमता ने ही इसे अति खास बना दिया है।
नासा के अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी में इतना समय क्यों लगा
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि यह प्रश्न स्वाभाविक ही है, जैसा कि हम सब जानते हैं कि नासा के इस अंतरिक्ष मिशन के अनुसार सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरिक्ष में केवल 8 दिनों का ही समय गुजारना था, बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स जून 2024 में बोईंग कम्पनी के स्टारलाइनर स्पेस क्रॉफ्ट के ज़रिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन( ISS) पहुंचे थे, उसी के कुछ समय बाद ही स्पेसक्रॉफ्ट में कई प्रकार की तकनीकी खामी आने से जिसकी वजह से मिशन में देरी हुई. इस स्पेस क्रॉफ्ट में लॉन्च के दौरान ही समस्याएं आ रही थीं. इसमें कुछ ऐसी भी समस्याएं थीं जिनका असर वायुमंडल में एंट्री करने पर पड़ सकता था जो की जोख़िम भरा भी हो सकता था, और समस्याओं में हीलियम गैस का रिसाव भी शामिल था,इसको देखते हुए नासा ने यह तय किया कि दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी में थोड़ा सा भी जोखिम नहीं ले सकते क्योंकि उनके पास स्पेस एक्स के अंतरिक्ष यान के ज़रिए पृथ्वी पर सकुशल वापसी का एक और भी अच्छा विकल्प जो की मौजूद था, और उन्होनें क्रू के रोटेशन को ही बेहतर माना, क्योंकि पहले से मौजूद स्टार लाईनर कैप्सूल तकनीकी कार्य में (मलफंक्शन) खामी होने से स्टार लाईनर क्रू को अगस्त 2024 में बिना अंतरिक्ष यात्रियों के पृथ्वी पर वापस लौट आना पड़ा , और इन्हीं सब के कारण से अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन में कई महीनों तक का समय लगा,
अगर हम कुछ और भी विशेष पहलुओं पर ध्यान दें तो यह भी पता चलता है कि बोइंग कंपनी ने भी अपने स्टार लाईनर कैप्सूल को लेकर लगातार यही दावा किया था कि वह भी दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को स्टारलाइनर कैप्सूल के ज़रिए ही वापस धरती पर सकुशल ब सुरक्षित भी ला सकते हैं, लेकिन नासा प्रशासन ने इसे उतना उचित नहीं समझा और स्पेस एक्स और नासा के सहयोग से क्रू 9 से पृथ्वी पर वापसी के लिए फोकस किया, और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( आई एस एस) जिसका साइज़ लगभग एक फुटबॉल मैदान के बराबर है जोकि पृथ्वी से लगभग 402 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में मौजूद है और लगातार लगभग 28000 किलोमीटर् प्रति घंटे की तेज़ गति से पृथ्वी का चक्कर लगा रहा है जिसका एक दिन पृथ्वी के 90 मिनिट के बराबर होता है और वहां पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने को मिलता है, उसी अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 18 मार्च 2025 को अंतरिक्ष यात्रियों को क्रू 9 में इंटीग्रेटेड किए गए और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से crew 9 ,चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 17 घंटे का लगातार सफ़र पूरा करके 27359 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज़ गति से पृथ्वी के वायुमंडल में दाख़िल हुआ और नासा स्पेस एक्स क्रू 9 , जोकि 19 मार्च 2025 की तारीख की सुबह भारतीय समयानुसार 03 बजकर 27 मिनिट्स पर अमेरिका के फ्लोरिडा में ड्रैगन कैप्सूल का स्प्लैश डाउन लैंडिंग ( समुद्र में किसी स्पेस कैप्सूल का उतरना) पूर्ण हुआ, जिसमें सुनीता विलियम्स और बिच विल्मोर के साथ ही दो और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को भी लाया गया है जिनके नाम क्रमशः नासा के अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बनोव हैं, इसी के साथ ही 59 वर्षीय सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने वाली तीसरी महिला अंतरिक्ष यात्री भी बन गई हैं, इस से पहले और क्रिस्टीना कोच 328 दिन बिताने वाली पहली महिला हैं उसके बाद पिग्गी बाइट 289 दिन बिताने वाले अंतरिक्ष यात्री हैं,
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि इस प्रकार की यात्राओं से हमे भविष्य में होने वाली अंतरिक्ष यात्राओं के लिए सीख लेनी चाहिए कि कितना सटीक समय और वैज्ञानिक समर्पण और टीम भावना से जुड़े होने पर हम किसी भी कठिन से कठिन मिशन पर कैसे जीत प्राप्त कर सकते हैं, और अंतरिक्ष अन्वेषण को और भी ज्यादा संभव बना सकते हैं, और चुनौतीपूर्ण मिशन को एक सफ़ल और सुरक्षित लैंडिंग में भी कैसे बदल सकते हैं,
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि
ऐसा भी हो सकता है कि
बोइंग कंपनी द्वारा स्पेस एक्स के अंतरिक्ष यान से वापसी करवाने पर भी प्रतिस्पर्धी नाराज़गी जाहिर होना हो सकता है ,जोकि मानवीय प्रवृत्ति में अक्सर पाया जाता है , क्योंकि आज के समय की स्वस्थ अंतरिक्षीय प्रतिस्पर्धा के दौर में स्पेस रेस में कोई भी पीछे नहीं रहना चाह रहा है, और यह बोइंग कंपनी के स्टार लाईनर कैप्सूल की इतनी लंबी पहली मानव युक्त उड़ान जो थी, जोकि पूर्ण रूप से सफ़ल नहीं हुई, अब बात करें चाहें वह कोई भी देश हों या किसी भी देश की निजी कंपनियों का स्पेस सेक्टर जोकि सरकारी संस्थाओं के साथ भी कार्यरत हैं जोकि एक हद तक ठीक भी है,जैसे की
ट्रंप और मस्क ने अपना संयुक्त वादा निभाया, ऐसे ही भारत सरकार को भी चाहिए कि प्राईवेट स्पेस सेक्टर के लिए और भी अधिक बड़ी खिड़की खोलें जिस से हमारा देश भारत भी इसरो और विश्व की तमाम स्पेस संस्थाओं के साथ निरन्तर स्पेस सेक्टर के अन्वेषण में और भी नित नई ऊंचाईयों को प्राप्त करता रहे, साथ ही जय जवान , जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान को पूरी तरह से चरितार्थ कर सकें ।
धन्यवाद ।
जय हिंद, जय भारत,
© खगोल विद अमर पाल सिंह, नक्षत्र शाला (तारामण्डल) गोरखपुर ,उत्तर प्रदेश ,भारत । अंतरिक्ष संबंधी किसी विशेष जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्र +917355546489