नयी दिल्ली 07 मार्च (वार्ता) किशोरों से लेकर युवाओं की अचानक लड़खड़ा कर गिरने के कारण होने वाली मौतों (सडेन कोलैप्स) की बढ़ती घटनाओं के बीच केरल के श्री चित्रा तिरुनल आयुर्विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने एक ऐसे म्यूटेशन जीन का पता लगाया है जिसका समय रहते उपचार कर ऐसी मौतों पर काफी हद तक रोक लगायी जा सकती है।
हृदय संबंधित बीमारियों का कारण बनने वाले इस एम वाई एच 7 जीन के कारण उत्पन्न होने वाली गंभीर स्थिति के बारे में कार्डियोलोजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रतिष्ठित पत्रिका इंडियन हर्ट जर्नल ने उपरोक्त अनुसंधानकर्ताओं का शोध-पत्र प्रकाशित किया है।
श्री चित्रा तिरुनल आयुर्विज्ञान संस्थान के कार्डियोलोजी विभाग के डा. कुमार रतनजीत और डा. शिवदासनपिल्लै हरिकृष्णनन ने इस लेख में बताया है कि इस म्यूटेशन जीन के कारण होने वाली बीमारी- हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी एक प्रकार की आनुवंशिक स्थिति है जिसमें हृदय की मांसपेशियां भारी हो जाती हैं और हृदय के सुचारु काम में बाधा पैदा करती हैं। शाेध-पत्र में कहा गया है कि ऐसे लोगों की पहले की पीढ़ियों में भी हृदय की इस तरह की समस्या से मृत्यु के मामले देखे जा चुके हैं या उनके परिवार के अन्य सदस्य पहले भी ऐसी बीमारी से ग्रसित होते रहे हैं।
डॉक्टर रतनजीत का कहना है ,“ ऐसे कई जीन पहले से हैं जो इस तरह की स्थिति का कारण बनते हैं और उनकी जांच भी की जा सकती हैं। हालाँकि, हमने जिस म्यूटेशन- जीन एम वाई एच 7 जीनको रिपोर्ट किया है, उसका पहली बार पता चला है।“
डॉ रतनजीत ने कहा कि भविष्य में संदिग्ध मरीजों में भी इस जीन की जांच की जा सकती है और पता चलने पर उनका समय रहते उपचार किया जा सकता है।
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी बीमारी अत्यधिक परिश्रम के कारण थकने और कभी कभी पानी की कमी के कारण अचानक हृदय गति रुकने से होने वाली मृत्यु का कारण बन सकती है। यह एथलीटों या एरोबिक व्यायाम के प्रति उत्साही लोगों में अचानक बिना किसी स्पष्ट कारण के मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक है।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक- दो वर्षों से भारत में इस तरह की मौतों की संख्या लगातार बढ रही है जिनमें किशोर से लेकर युवा और बड़ी उम्र के लोगों की अचानक लड़खड़ा कर गिरने से मौत हो रही है। कुछ छोटे बच्चों की भी इस तरह की घटनाओं में मौत की खबरें सामने आयी हैं।