Tuesday, June 17, 2025

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वैज्ञानिकों ने लुप्तप्राय काकापो तोते को संरक्षित करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान का किया सफल उपयोग

ऑकलैंड, 17 ​​मई (वार्ता) न्यूजीलैंड के लुप्तप्राय हो रहे काकापो तोते को संरक्षित करने की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इस प्रजाति की प्रजनन क्षमता में सुधार लाने और दुर्लभ आनुवंशिकी संरक्षित करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान (एआई) का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
न्यूज़ीलैंड के संरक्षण विभाग, ओटागो विश्वविद्यालय और जर्मनी के जस्टस लिबीग विश्वविद्यालय गिसेन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एआई दुनिया के सबसे दुर्लभ तोतों में से एक को संरक्षित करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है, जो प्रजनन सफलता को बढ़ाने और आवश्यक आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने में मददगार है।
शुक्रवार को जारी अध्ययन में कहा गया कि न्यूजीलैंड में दुर्लभ तोता काकापो की संख्या 2019 में महज 142 थी, जबकि 1995 में केवल 51 जीवित थे, लेकिन कम प्रजनन एवं उच्च भ्रूण मृत्यु दर के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पी.एल.ओ.एस. वन नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि काकापो पक्षी बहुत कम प्रजनन करते हैं तथा उनकी प्रजनन प्रणाली के कारण कुछ नर पक्षी ही अधिकांश के पिता बनते हैं, जिसके कारण कुछ आनुवंशिक रूप से मूल्यवान पक्षी बिना किसी संतान के रह जाते हैं।
न्यूजीलैंड के संरक्षण विभाग में काकापो/ताकाहे के विज्ञान सलाहकार एंड्रयू डिग्बी ने कहा, “गंभीर रूप से संकटग्रस्त काकापो के सामने दो मुख्य चुनौतियां हैं, जिनमें कम जन्मदर (केवल 40 प्रतिशत अंडों से ही चूजे निकलते हैं) और आनुवंशिक अंतःप्रजनन का स्तर उच्च है।”
इस शोध के सह-लेखक डिग्बी ने कहा, “कृत्रिम गर्भाधान इन समस्याओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, क्योंकि यह प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है और उन प्राणियों में महत्वपूर्ण आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने में सक्षम बनाता है जो स्वाभाविक रूप से संभोग नहीं करते हैं।”
काकापो में कृत्रिम गर्भाधान पहली बार 2009 में किया गया था, लेकिन हाल तक इसमें मिली-जुली सफलता प्राप्त हुई है। वर्ष 2019 में, न्यूजीलैंड की काकापो रिकवरी टीम और जर्मन तोता प्रजनन विशेषज्ञों के बीच सहयोग से महत्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की, जिसमें वीर्य संग्रह के लिए नई तकनीकों का उपयोग शामिल है।
अध्ययन में बताया गया कि कैसे 46 प्रयासों में से 93.5 प्रतिशत में 20 नरों से वीर्य सफलतापूर्वक एकत्रित किया गया। वैज्ञानिकों ने फिर शुक्राणु की गुणवत्ता का विश्लेषण किया और नमूनों का उपयोग 12 मादाओं को गर्भाधान करने के लिए किया।

Universal Reporter

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