Tuesday, May 13, 2025

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महंगी हो रही स्कूल की शिक्षा

आजकल महंगाई की चर्चा बहुत हो रही है। होनी चाहिए। पर महंगाई हर दौर में बढी है।बचपन में हमारे बुजुर्ग जो अंग्रेजों के काल में जवान हुए और आजाद भारत में प्रौढ़ हुए , वे भी अक्सर महंगाई का रोना रोते रहते थे। कुछ तो यहां तक कह देते थे कि इस से अच्छा ब्रिटिश शासन काल था। कभी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व जवाहर लाल नेहरू से एक वृद्धा ने पूछ लिया कि हमें आजादी मिलने से क्या मिला? नेहरू जी ने सीधा जवाब दिया कि तुम्हें देश के प्रधान मंत्री से सीधे सवाल करने का अधिकार मिल गया है।
खैर आज का मेरा विषय निजी स्कूलों में फीस और अन्य सुविधाओं के नाम पर हो रही लूट है अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा के नाम पर लोगों की मजबूरी का पूरा दोहन करते हैं।शासन को इन पर लगाम लगाने की जरूरत है। उसके बाद भी बच्चों की केवल परीक्षा लेने का काम करते हैं। पढ़ाने का काम तो अभिभावक का ही होता है।पर समाज में अपना स्तर दिखाने के लिए अपनी आय का बड़ा भाग इन स्कूलों के नाम पर होम कर देते हैं।ऐसे बच्चे भारतीय संस्कारों से इतने दूर चले जाते हैं कि उन्हें स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर पता नहीं होता है। समाज के अनाप शनाप खर्चों को पूरा करने के लिए पति पत्नी दोनों नौकरी करते हैं और बच्चे किस दिशा में जा रहे हैं यह देखने का उनके पास समय ही नहीं है।
इस लिए अब समय आ रहा है कि निजी स्कूलों की लूट , स्कूल से मिलने वाली शिक्षा पर ध्यान दिया जाए। निजी और सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम को एक जैसा किया जाय। बच्चों के आचार विचार,संस्कार पर विशेष ध्यान दिया जाए। कुछ गुरुकुल जैसी संस्थाएं ऐसा कर रही हैं पर उन्हें पिछड़े जैसा देखा जाता है।
यदि बच्चों में संस्कार और संस्कृति पर ध्यान दिया जाए तो समाज में अपराध में भी कमी आएगी। जरूरत है समाज में एक मुहिम चला कर लोगों को इस से जोड़ा जाय।
धन्यवाद
शैलेन्द्र कुमार अम्बष्ट वाराणसी

Universal Reporter

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