Friday, April 25, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

महिलाओं की नियुक्ति बढ़ाने की योजना लेकिन प्रतिभा की सीमित उपलब्धता बड़ी चुनौती

नयी दिल्ली 16मार्च (वार्ता) ब्लू कॉलर नौकरियां प्रदान करने वाली देश की अधिकांश कंपनियां चालू वर्ष में महिलाओं की नियुक्तयां बढ़ाने की योजना बना रही है लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रतिभा पूल की उपलब्धता बन रही है।

ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफ़ॉर्म, इनडीड के नए सर्वे के मुताबिक, भारत में ब्लू-कॉलर कार्यबल की हर 5 नौकरियों में से महिलाओं के पास केवल एक नौकरी है। नियुक्ति की बढ़ती इच्छा के बाद भी वेतन में असमानता और स्वच्छता की खराब स्थिति जैसी अनेक चुनौतियों के कारण महिलाएं पीछे रह जा रही हैं। इसमें टियर 1 और टियर 2 शहरों में 14 उद्योगों, जैसे ऑटोमोबाइल, बीएफएसआई, ई-कॉमर्स, ट्रैवल एवं हॉस्पिटैलिटी, एफएमसीजी और मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र का अध्ययन किया गया, जिसमें यह वास्तविकता सामने आई।

सर्वे में शामिल 73प्रतिशत नियोक्ताओं ने बताया कि उन्होंने 2024 में ब्लू-कॉलर पदों पर महिलाओं की नियुक्ति की थी, लेकिन फिर भी देश में महिलाओं की भागीदारी अभी भी सिर्फ 20 प्रतिशत पर स्थिर है। कुछ उद्योगों का प्रदर्शन बेहतर है। जहाँ रिटेल (32प्रतिशत), हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स (32प्रतिशत), कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट (30प्रतिशत), और ट्रैवल एवं हॉस्पिटैलिटी (28प्रतिशत) में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सबसे ज़्यादा है, वहीं दूरसंचार, बीएफएसआई और आईटी/आईटीईएस में महिलाओं की संख्या 10प्रतिशत से भी कम है।

सर्वे के अनुसार, 78प्रतिशत नियोक्ता 2025 में ब्लू-कॉलर पदों पर महिलाओं की नियुक्त बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। महिलाओं की भर्ती के इरादे में 2024 में 73प्रतिशत के मुकाबले 5प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। रिटेल (94प्रतिशत), हेल्थकेयर और फार्मा (93प्रतिशत), और ई-कॉमर्स (93प्रतिशत) जैसे उद्योगों में महिलाओं की मांग सबसे मजबूत है।

सर्वे के मुताबिक ज़्यादातर महिलाएँ मुख्यतः वित्तीय आत्मनिर्भरता (70प्रतिशत) पाने के लिए ब्लू-कॉलर नौकरियाँ तलाशती हैं, लेकिन कार्यस्थल पर उन्हें कड़वी वास्तविकता का सामना करना पड़ता है। सर्वे में महिलाओं के पीछे रह जाने के तीन मुख्य कारणों को पहचाना गया है। सर्वे में शामिल आधी से अधिक महिलाओं के लिए शिफ्ट का लचीला ना होना एक बड़ी बाधा है। ब्लू-कॉलर जॉब की प्रकृति के कारण शिफ्ट की दिनचर्या अक्सर सख्त होती है, इसलिए महिलाओं के लिए काम और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है। 42प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन मिलता है और पदोन्नति के अवसर भी कम मिलते हैं। ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी और ट्रैवल एवं हॉस्पिटैलिटी जैसे उद्योगों में आधी से अधिक महिलाओं को लगता है कि उनका वेतन उनके काम के अनुरूप नहीं है। सर्वे में शामिल हर दूसरी महिला अपना कौशल बढ़ाना चाहती है, पर उन्हें प्रशिक्षण न मिल पाना एक बड़ी चुनौती है। सीखने के संरचनाबद्ध उपायों के बिना करियर आगे नहीं बढ़ पाता है।

अंतर को दूर करने के लिए 78 प्रतिशत नियोक्ता 2025 में ब्लू-कॉलर पदों पर महिलाओं की नियुक्ति बढ़ाना चाहते हैं, पर ‘प्रतिभाओं की सीमित उपलब्धता’ (52प्रतिशत) और क्षमता में तेजी से होती कमी उनके मार्ग की मुख्य बाधा है। हेल्थकेयर की बढ़ती लागत भी एक चुनौती है, जबकि महिलाएँ कार्यस्थल पर हेल्थकेयर बेनेफिट्स जैसे बीमा और पेड मेडिकल लीव को सबसे ज्यादा महत्व देती हैं।

Universal Reporter

Popular Articles