नयी दिल्ली 29 मई (वार्ता) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्त वर्ष 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रचलन में बैंक नोटों के मूल्य और जीडीपी अनुपात में गिरावट जारी है, क्योंकि वित्त वर्ष 2025 में यह घटकर 11.11 प्रतिशत रह गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 11.5 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के अनुसार दो साल पहले वित्त वर्ष 2023 में प्रचलन में बैंक नोटों का मूल्य जीडीपी अनुपात में 12.5 प्रतिशत था, जो देश में डिजिटल भुगतान की सफलता को दर्शाता है। गुरुवार को जारी इस वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार प्रचलन में बैंक नोटों का मूल्य वित्त वर्ष 2025 में 6 प्रतिशत बढ़कर 36.88 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पहले यह 34.78 लाख करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट के अनुसार प्रचलन में मुद्रा, जिसमें बैंक नोट, सिक्के और डिजिटल रुपया (ई रुपया) शामिल हैं, का विस्तार जारी रहा, जो डिजिटल विकल्पों को अपनाने के साथ-साथ नकदी की मांग से प्रेरित था। 2024-25 के दौरान प्रचलन में बैंक नोटों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 6.0 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 500 रुपये के नोट मुद्रा परिदृश्य पर हावी रहे, जो मात्रा के हिसाब से सभी नोटों का 40.9 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 86 प्रतिशत था, इसके बाद मात्रा के हिसाब से 10 रुपये के नोट थे। कैशलेस भुगतान में वृद्धि के बावजूद, 10, 20 और 50 रुपये जैसे कम मूल्य वाले नोट अभी भी मात्रा के हिसाब से सभी नोटों का लगभग एक तिहाई हिस्सा बनाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने की प्रक्रिया में और तेज़ी आई। 31 मार्च, 2025 तक मूल रूप से प्रचलन में मौजूद 3.56 लाख करोड़ रुपये में से 98.2 प्रतिशत बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए। आरबीआई ने 2, 5 और 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है जो अधिक बार इस्तेमाल किए जाने वाले मूल्यवर्ग की ओर बदलाव का संकेत है।
भारत की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा ई रुपया ने पिछले वर्ष के 234 करोड़ रुपये की तुलना में वित्त वर्ष 25 में प्रचलन में मूल्य में 334 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी जो 1,016 करोड़ रुपये हो गई। भौतिक मुद्रा की तुलना में ई रुपये का कुल हिस्सा नगण्य बना हुआ है।