मुंबई, 22 मई (वार्ता) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ग्रामीण और शहरी निम्न आय वर्ग के लिए वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार करने और सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की विश्वसनीयता एवं प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने के उद्देश्य से आज प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए पूंजी जुटाने के नए अवसरों पर एक चर्चा पत्र जारी किया।
आरबीआई ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि यह पहल बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020 में किए गए प्रावधानों को अमल में लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे सहकारी बैंकों को विशेष शेयर जारी करने, प्रीमियम पर शेयर निर्गम और अन्य नए पूंजी साधनों के माध्यम से संसाधन जुटाने की अनुमति मिल सकेगी।
इस दिशा में पहल की नींव उस समय रखी गई जब आरबीआई ने पूर्व डिप्टी गवर्नर एन.एस. विश्वनाथन की अध्यक्षता में यूसीबी पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सहकारी बैंकों की वित्तीय मजबूती के लिए पूंजी जुटाने को लेकर व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत सुझाए थे।
आरबीआई ने इन सिफारिशों के आधार पर एक आंतरिक कार्य समूह का गठन किया, जिसने व्यवहारिक पहलुओं का मूल्यांकन किया और जरूरी सुधारों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।
आरबीआई ने 09 अक्टूबर, 2024 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों के वक्तव्य में संकेत दिया था कि वह कार्य समूह की सिफारिशों के आधार पर एक चर्चा पत्र जारी करेगा ताकि सभी हितधारकों से राय लेकर एक ठोस नीति तैयार की जा सके।
चर्चा पत्र में यूसीबी के लिए विशेष शेयरों का निर्गम, प्रीमियम पर शेयर जारी करना, हाइब्रिड इंस्ट्रूमेंट,
प्राथमिकता पूंजी, सदस्यता नियमों में संशोधन के सुझाव और निगरानी एवं पारदर्शिता तंत्र जैसे पूंजी साधनों पर विचार प्रस्तुत किया गया है। इन उपायों से यूसीबी की पूंजी पर्याप्तता, वित्तीय लचीलापन और विस्तार की क्षमता बढ़ाई जा सकती है, जिससे वे वित्तीय प्रणाली में एक अधिक सशक्त भूमिका निभा सकें।
केंद्रीय बैंक ने चर्चा पत्र में उठाए गए बिंदुओं पर सार्वजनिक और संस्थागत टिप्पणियों को आमंत्रित किया है, जिन्हें 15 जुलाई, 2025 तक आरबीआई की वेबसाइट के ‘कनेक्ट 2 रेगुलेट’ के तहत ऑनलाइन जमा किया जा सकता है।