Tuesday, June 17, 2025

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कटरा से कश्मीर के लिए रेल लिंक खोलने की तैयारी पूरी

नयी दिल्ली 02 जून (वार्ता) जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर-श्रीनगर बारामूला रेल परियोजना (यूएसबीआरएल) के बचे हुये भाग के निर्माण के छह माह बाद उद्घाटन की तैयारियां शुरू हो गयीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह जून को दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलपुल और अंजी खड्ड रेलपुल का उद्घाटन करेंगे तथा श्री माता वैष्णों देवी कटरा से श्रीनगर- बारामूला के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस के विशेष कश्मीर संस्करण को हरी झंडी दिखाएंगे।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री सबसे पहले चिनाब रेलपुल पर पहुंच कर उसका उद्घाटन करेंगे और फिर अंजी खड्ड पुल पर पहुंच कर उसका भी उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वह कटरा स्टेशन पर पहुंच कर वहां से श्रीनगर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस के विशेष कश्मीर संस्करण का उद्घाटन करेंगे। श्री मोदी बाद में कटरा में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि जिस समय श्री मोदी कटरा से श्रीनगर से लिये वंदे भारत एक्सप्रेस रवाना करेंगे। उसी समय श्रीनगर से कटरा के लिए दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस भी रवाना होगी। इस तरह से कश्मीर घाटी से जम्मू एवं शेष भारत के साथ रेल संपर्क बहाल हो जाएगा। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ऐतिहासिक अवसर होगा। सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में वंदे भारत एक्सप्रेस की दो सेवायें सप्ताह में पांच दिनों तक और सप्ताह के बाकी दो दिन एक एक सेवायें चलेंगी। आगे चल कर दो रैक के माध्यम से तीन सेवायें भी की जा सकतीं हैं।

सूत्रों के अनुसार वर्तमान में कटरा के दूसरी ओर बारामूला से संगलदान तक रोज़ाना करीब 23 रेल सेवायें संचालित होतीं हैं जिनसे रोज़ाना 15 हजार यात्री सफ़र करते हैं। कटरा से कश्मीर की सीधी कनेक्टविटी खुलने ये संख्या 25 हजार तक हो जाने की संभावना है। वर्तमान में सर्वाधिक यात्री बानिहाल से श्रीनगर के बीच यात्रा करते हैं। बारामूला, सोपोर एवं अनंतनाग ऐसे स्टेशन हैं, जहां से प्रतिदिन 1000 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है। अनंतनाग स्टेशन से पर्यटक पहलगाम जाते हैं और हर साल आषाढ़ एवं श्रावण मास में होने वाली अमरनाथ यात्रा भी पहलगाम होकर जाती है। इसलिए अमरनाथ के तीर्थयात्रियों के लिए भी अनंतनाग महत्वपूर्ण स्टेशन है।

सूत्रों के अनुसार यूएसबीआरएल परियोजना में चिनाब पुल को भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग में सबसे अहम मील का पत्थर माना जाता है। चिनाब पुल की नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर होगी। फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर की ऊंचाई 324 मीटर है, जबकि कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर है। इसकी ऊंचाई एफिल टॉवर से करीब 35 मीटर अधिक होगी। विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा रेलपुल चीन के बेईपैन नदी पर बना शुईबाई रेलवे पुल है, जिसकी ऊंचाई 275 मीटर है। करीब 1315 मीटर लंबे चिनाब रेल पुल नदी के दोनों छोरों को इस्पात के एक विशालकाय अर्द्धचंद्र आकार के ढांचे से जोड़ा गया है। पुल के निर्माण में 25 हजार टन से अधिक इस्पात का इस्तेमाल किया गया है। पुल की आयु 120 साल है।

यह क्षेत्र भूगर्भीय हलचल की दृष्टि से ज़ोन चार में आता है, लेकिन पुल का निर्माण सर्वाधिक हलचल वाले ज़ोन पांच की ज़रूरतों के हिसाब से किया गया है। यह पुल रिक्टर पैमाने पर आठ तीव्रता के झटके को आसानी से झेल लेगा। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेज़ हवा को सहने में सक्षम होगा। रेलवे पुल में हवा की रफ्तार नापने के लिए सेंसर भी लगाया गया है। ऐसी व्यवस्था की गयी है कि 90 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हवा की रफ्तार होने पर सिग्नल लाल हो जाएगा और रेल संचालन को रोक दिया जाएगा।

आतंकवादी गतिविधियों या तोड़फोड़ की अन्य गतिविधियों की आशंका के कारण इसे इतना सुरक्षित बनाया गया है कि 40 किलोग्राम तक के टीएनटी विस्फोट से इस पुल का बाल भी बांका नहीं होगा। पुल में 63 मिमी मोटा विशेष ब्लास्ट प्रूफ स्टील इस्तेमाल किया गया है। पुल के खंभे इस तरह से डिजाइन किये गये हैं कि वे धमाकों को झेल सकें। साथ ही खंभों पर जापान से आयातित ओलिव ग्रीन कलर का पेंट किया गया है ताकि दुश्मन की नज़र से बचाया जा सके। यह पेंट कम से कम 15 साल चलेगा। पुल की निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होगी। साथ ही आपातकालीन स्थिति में पुल और यात्रियों की रक्षा के लिए एक ऑनलाइन निगरानी और चेतावनी प्रणाली लगायी जाएगी।

रियासी के पास चिनाब रेलपुल के दक्षिण में स्थित अंजी खड्ड पुल, अंजी नदी की गहरी खाई पर बना है। यह भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे पुल है। भारत में दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे पुल होने के नाते यह, कौरी में चिनाब पुल के बाद बना है। अंजी खड्ड पुल से 28 मीटर (92 फुट) अधिक है और पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर (115 फुट) ऊंचा है। अंजी खड्ड पुल का डेक नदी के लेवल से 331 मीटर ऊपर है।

उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना के तहत 272 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछायी गयी है। इस परियोजना का निर्माण साल 1997 से चल रहा है। इस परियोजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है:- उधमपुर-कटरा, कटरा-बनिहाल, बनिहाल-श्रीनगर-बारामुला। 25 किलोमीटर लंबी उधमपुर-कटरा तथा लगभग 184 किलोमीटर का संगलदान-बारामूला खंड चालू हो चुका है, जबकि संगलदान से कटरा तक करीब 45 किलोमीटर का ट्रैक इस साल जनवरी में बन कर तैयार हो चुका है, जिसका उद्घाटन 19 अप्रैल को हाेगा। इस पर करीब 41 हजार करोड़ रुपये की लागत आयी है। इस मार्ग पर देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग टी-49 बनी है। इस परियोजना में 943 पुल और 1196 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनायी गयीं हैं। कटरा से बारामूला के बीच 17 प्रमुख स्टेशन हैं।

यूएसबीआरएल परियाेजना के लिए भारतीय रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस के विशेष संस्करण तैयार किये हैं। राजधानी के शकूरबस्ती स्थित यार्ड में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के दो रैक तैयार किये गये हैं। रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर घाटी के कनेक्टिविटी और प्रगति के लिए एक ऐतिहासिक क्षण आ गया है। ऊधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल परियोजना का पूरा होना भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो कनेक्टिविटी, प्रगति और समावेशिता के एक नये युग को निरुपित करता है।

रेल विशेषज्ञों के अनुसार इस ऐतिहासिक मील के पत्थर में अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत इसे और ऊंचा मुकाम देगी, जिसे विशेष रूप से क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण सर्दियों की स्थिति में निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उन्होंने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस का उच्च हिमालयी संस्करण इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत निर्मित, वंदे भारत एक्सप्रेस विश्वसनीयता, सुरक्षा और यात्री आराम सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और उन्नत सुविधाओं से लैस है। इस ट्रेन को कश्मीर घाटी की चरम जलवायु परिस्थितियों के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है, जो नवाचार और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के वातावरण के हिसाब से विशेष उन्नत ताप प्रणाली के लिए अनेक सुधार किये गये हैं। सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने वाले ओवरहीट सुरक्षा सेंसर के साथ पानी के टैंक और जैव-शौचालय टैंकों की ठंड को रोकने के लिए सिलिकॉन हीटिंग पैड, पाइपलाइन को गर्म रखने के लिए विशेष नलसाजी की गयी है। आटो रेगुलेटेड हीटिंग केबल्स पानी की ठंड को रोकते हैं, शून्य से कम तापमान में भी सुचारू संचालन सुनिश्चित करते हैं। भारतीय शौचालयों में हीटर से वैक्यूम सिस्टम और शौचालयों के लिए गर्म हवा प्रदान करने की प्रणाली लगायी गयी है, ताकि यात्री आराम बढ़ सके। ऑटो-ड्रेनिंग तंत्र लगाया गया है, ताकि प्लंबिंग लाइनें स्टैबलिंग के दौरान ठंड को रोकने के लिए ड्रेनिंग सिस्टम से लैस है। लोको पायलेट केबिन में विंडशील्ड में एंबेडेड हीटिंग तत्व, ड्राइवर के फ्रंट लुकआउट ग्लास में डीफ्रॉस्टिंग के लिए हीटिंग तत्व हैं, जो कठोर सर्दियों की स्थिति में स्पष्ट दृश्यता सुनिश्चित करते हैं। अत्यधिक ठंडे मौसम या अप्रत्याशित घटनाओं के दौरान प्रभावों से ड्राइवर की रक्षा के लिए एंटी-स्पेल प्लेयर्स जोड़ा गया। ठंड की स्थिति में एयर ब्रेक सिस्टम को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए एयर ड्रायर सिस्टम हीटिंग का इंतजाम है। महत्वपूर्ण हीटिंग सिस्टम के लिए पांच केवीए ट्रांसफॉर्मर अंडरफ्रेम में स्थापित किया गया है।

इनके अलावा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की प्रमुख यात्री सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिनमें सेमी हाई स्पीड क्षमताओं (160 किमी प्रति घंटे तक) के साथ पूरी तरह से वातानुकूलित कोच, बढ़ी हुई सुरक्षा और सुविधा के लिए वाइड गैंगवे, स्वचालित प्लग दरवाजे, मोबाइल चार्जिंग सॉकेट, इंफोटेनमेंट सिस्टम और सीसीटीवी आदि शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर में वंदे भारत एक्सप्रेस सिर्फ एक ट्रेन ही नहीं है, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग कौशल, प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता और क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए समर्पण का प्रतीक है। इस पहल से घाटी के लोगों के लिए रेल यात्रा को बदलने की उम्मीद है, जिससे उन्हें सुरक्षित, विश्वसनीय और विश्व स्तरीय परिवहन प्रदान किया जा सके।

Universal Reporter

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