वेद वाणी

हे प्रभु! हम आपके संरक्षण में रहकर शत्रुओं पर विजय पाऐ, संग्राम में उन्हें विध्वंस कर दे!

हे प्रभु! हम आपके संरक्षण में रहकर शत्रुओं पर विजय पाऐ, संग्राम में उन्हें विध्वंस कर दे!
मंत्र :– (यो नो दास आर्यो वा पुरुष्टुता, ऽदेव इन्द्र युधये चिकेतति!
अस्माभिष्टे सुषहा:सन्तु शत्रवस , त्वया वयं तान् वनुयाम संगमे!)
ऋग्वेद १०! ३८! ३!
ऋषि-मुष्कवान् इन्द्र, देवता-इन्द्र
पदार्थ एवं अन्वय :-
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(पुरुष्टुत इन्द्र य: दास:वा आर्य: अदेव:न:युधये चिकेतति) हे परमात्मा! जो दस्यु अथवा आर्य अदेव बनकर हमें युद्ध के लिए जानता है, युद्ध का पात्र बनाता है! (ते शत्रव: अस्माभि:सुषहा:सन्तु) वे शत्रु हमसे सुपराजेय हो! त्वया वयं संगमे तान् वनुयाम) तेरे द्वारा तेरी सहायता से हम संग्राम में उन्हें विध्वंस कर दे!
व्याख्या——– हमारा जीवन संघर्षों से ओत प्रोत है, हिमाचल की कन्दरा में जाकर भी संघर्षों से बचा नहीं जा सकता है! हमें चारो ओर से युद्ध की ललकार मिल रही है! जो दस्यु जन है, जो किसी को चैन से नहीं रहने देते हैं, जिनके मन में सज्जनों के प्रति विरोध वैमनस्य की भावनाएँ घर किये हुए हैं, वे तो हमारा युद्ध के लिए आह्वान करते ही है किन्तु कभी कभी शिष्ट आर्य जन भी अदित्यता का चोला पहनकर पाशविक वृत्ति को अपना कर हमें युद्ध का निमंत्रण देते हैं! इस प्रकार क्या आर्य क्या अनार्य सबसे ही हमें भय है! जगत में किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता है! क्या जाने, जो आज आर्यत्व की बंसी बजा रहा है, कल वही अदेव बनकर हमारे प्राणों का प्यासा हो जाए!
जब ऐसी विकट स्थिति में हम पडे हुए हैं, तब हमें अपने अंदर बल सञ्चित करना होगा, संग्राम में जूझने के लिए शक्ति का स्त्रोत बनना होगा! आत्मिक, मानसिक और शारीरिक बलों से अनुप्राणित होना होगा, मुष्कवान इन्द्र ऋषि- बनना होगा, अन्यथा काल के थपेड़ों से, दस्युजनो और अदेव बने आर्यजनो के आघातों से हम चकनाचूर हो जायेगें! कहीं हम यह न समझ ले कि अकेला शास्त्र बल इन संग्रामो से हमारा त्राण करेगा, शस्त्र बल और शास्त्र बल, क्षत्रबल और ब्रह्मबल दोनों का भण्डार हमें अपने पास रखना होगा! कुछ शत्रुओं को हम क्षत्रबल से पराजित कर सकेंगे पर कुछ का पराजय ब्रह्मबल से ही हो सकेगा! शत्रु- पराजय के हमें शक्ति के पुञ्ज परम प्रभु का सहारा पकड़ना होगा! उसके सखित्व को पाकर हम समस्त रिपुगणो को, चाहे वे मानवरुपधारी दस्यु हो, चाहे आंतरिक कामादि षडरिपु हो, हम पराजित और विध्वंस करने में सफल हो सकेंगे!
हे परमैश्वर्यशाली परमेश्वर! तुम हमारे युद्धों का नेतृत्व करो, तुम हमारे अग्रनेता बनो और विश्व के समस्त रिपुओ को हमारे वशवर्ती करके हमें विजयी बनाओ! हम तुम्हारे चिर ऋणी रहेगें! मन्त्र का भाव है कि- हे प्रभु! आप हमारे नेता बनकर हमें रिपुओ में विजयी बनाओ!

 सुमन भल्ला

Chauri Chaura Times

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