इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं में सितंबर में 14,077 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश
मुंबई, शेयर बाजार में उथलपुथल के वर्तमान माहौल में भी भारत में शेयरों में निवेश पर केंद्रित इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है और सितंबर 2022 में इन योजनाओं ने शुद्ध रूप से 14,077 करोड़ रुपये का नया निवेश आकर्षित किया।
इससे पहले अगस्त में इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं में 5,942.2 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सितंबर में निवेशकों ने हाइब्रिड फंड योजनाओं से कुल मिला कर 2,688 करोड़ रुपये की पूंजी की शुद्ध निकासी की। अगस्त में भी इन योजनाओं में से 6,601.6 करोड़ की निकासी हुई थी।
इस दौरान लिक्विड फंड योजनाओं से निवेश की 59,970 करोड़ रुपये की भारी निकासी दर्ज की गयी ।
एक्सचेंज ट्रेडेट फंड (ईटीएफ) में शुद्ध निवेश 10,808 करोड़ रुपये रहा, जबकि ऋण जोखिम बीमा उत्पाद में निवेश वाली योजनाओं में से 492 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की गयी।
सितंबर में ऋण पत्रों में निवेश वाली योजना से कुल शुद्ध निकासी 65,372 करोड़ रुपये रही, जबकि अगस्त में इनमें से कुल मिलाकर 49,164 करोड़ रुपये निकाले गए थे। कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में निवेश करने वाली योजनाओं में शुद्ध विनिवेश 2,926 करोड़ रुपये रहा।
देश म्यूचुवल फंडों के प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति (एयूएम) सितंबर 2022 के अंत में 38.42 लाख करोड़ रुपये
थी।
फायर्स के अनुसंधान के प्रमुख गोपाल कवालीरेड्डी ने कहा,“शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में विश्वास व्यक्त करते हुए लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और सेक्टर फंड जैसे इक्विटी फंडों का विकल्प चुना। सेक्टर या थीमैटिक फंडों में 4,418 करोड़ रुपये का सबसे अच्छा निवेश देखा गया, इसके बाद फ्लेक्सीकैप फंड 2,401 करोड़ रुपये और मिडकैप फंड 2,151 करोड़ रुपये का निवेश रहा। आलोच्य माह में 21 म्यूचुअल फंड योजनाएं शुरू की गईं जिससे करीब 3,900 करोड़ रुपये की आमद हुई।”
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य व्यवसाय अधिकारी अखिल चतुर्वेदी, “औसत से नीचे के दो महीने के रुझान के बाद शुद्ध इक्विटी प्रवाह में स्वस्थ वृद्धि बाजारों के लिए अच्छा संकेत है। वैश्विक स्तर पर बाजार में उतार-चढ़ाव और नकारात्मक रुझानों के बावजूद भारतीय निवेशकों ने घरेलू अर्थव्यवस्था और बाजारों में विश्वास जताया है। निवेशकों ने देखा है कि भारत ने वैश्विक समकक्षों के मुकाबले अपने मामलों को अच्छी तरह से प्रबंधित किया है और इक्विटी के लिए घरेलू खरीद समर्थन ने भी एफपीआई बहिर्वाह को कम करने में मदद की है। हम उम्मीद करते हैं कि शुद्ध इक्विटी प्रवाह में यह स्वस्थ प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी।