उत्तरप्रदेश

प्लास्टिक सर्जरी में महर्षि सुश्रुत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान : प्रो. गुप्ता

गोरखपुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शल्य विभाग के अध्यक्ष प्रो एसजे गुप्ता ने कहा कि इस विषय को लेकर लोगों में भ्रांति है कि प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की देन है। वास्तव में चिकित्सा जगत को प्लास्टिक सर्जरी की विधा देने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान महर्षि सुश्रुत का है। एक तरह से वही प्लास्टिक सर्जरी के जनक हैं।
प्रो गुप्ता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम बालापार के गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में सातवें आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि जयंती साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत गुरुवार को ‘महर्षि सुश्रुत’ पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि महर्षि विश्वामित्र के पुत्र महर्षि सुश्रुत का जन्म छठी शताब्दी ईसापूर्व काशी में हुआ था। वह शल्यतंत्र प्रधान महर्षि धन्वंतरि संप्रदाय के शिष्य व मूर्धन्य आयुर्वेद शास्त्री थे। आयुर्वेद से जुड़ी शल्य क्रिया का परिणाम अत्यधिक सटीक होता है पर इसे लेकर कालांतर में जागरूकता का अभाव देखा गया। आज जब पूरी दुनिया निरोगी काया के लिए आयुर्वेद की तरफ तेजी से उन्मुख हो रही है, इसकी शल्य चिकित्सा पद्धति भी पुनः प्रतिष्ठित होगी। प्रो गुप्ता ने कहा कि सुश्रुत संहिता मानव जीवन के लिए अमूल्य उपहार है। यह संहिता तुलनात्मक रूप से अधिक व्यावहारिक है। इसमें 66 अध्याय शल्य तंत्र आधारित हैं। सुश्रुत संहिता के सिद्धांत अत्यंत वैज्ञानिक हैं। महर्षि सुश्रुत के कुछ अचूक सूत्रों का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक अच्छा वैद्य बनने के लिए सिर्फ शास्त्र का ज्ञान पर्याप्त नहीं है बल्कि कर्माभ्यास भी बहुत जरूरी है। साथ ही श्रेष्ठ सर्जन बनने के लिए शरीर रचना का ज्ञान होना अपरिहार्य है। प्रो गुप्ता ने कहा कि क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति गुदगत व्याधि के लिए सबसे परिणाम कारक चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने आयुर्वेद के विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपनी विधा के साथ ही अन्य शास्त्रों का सतत अध्ययन करते हुए गुरुजनों की सेवा भी करें। इन सबसे अर्जित ज्ञान का प्रयोग समाज की सेवा में करें। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने की। इस अवसर पर महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव, दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ डीपी सिंह, गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज की प्राचार्य डॉ डीएस अजीथा, डॉ गणेश पाटिल, डॉ प्रज्ञा सिंह, डॉ पीयूष वर्षा आदि की सहभागिता रही। धन्वंतरि व सरस्वती वंदना की प्रस्तुति साक्षी सिंह, दीक्षा, प्रिंस, निधि ने तथा वंदे मातरम की प्रस्तुति ईश्वरचंद, प्रेरणा, निधि व स्वाति ने की। मंच संचालन जाह्नवी राय ने किया। आयुर्वेद पर्व एवं धन्वंतरि जयंती साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत गुरुवार को ‘आयुर्वेद एवं मानसिक स्वास्थ्य’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही आयुर्वेद आहार, पंचमहाभूत विषयों पर कविता प्रतियोगिता भी हुई। प्रतियोगिता के विजेताओं को धन्वंतरि दिवस पर आयोजित मुख्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

Chauri Chaura Times

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