कर्ज एक ऐसा मर्ज है जिससे जीवन नर्क बन जाता हैं कर्ज के कई प्रकार होतें है जैसे धन का कर्ज, खेतों का कर्ज, अनाज का कर्ज, मदद का कर्ज,बच्चों का कर्ज इत्यादि । जब हम किसी से धन लेते हैं तो बदले में वो ब्याज लेता है और हम उस ब्याज दरों को भरते- भरते अपनी जमा पूंजी भी खो देते हैं यह कर्ज खुली तलवार की तरह गर्दन पर लटका रहता है, भूमि का कर्ज जैसे हम मेहनत करने के लिए किसी की भूमि लेकर उसपर खेती करते हैं और उसके बदले में उसे आधा अनाज देते हैं तो उस आधे अनाज से हमारी मेहनत की तुलना नहीं कर सकते हैं ठीक इसी तरह हम अनाज का भी कर्ज लेते हैं और पूरा नहीं कर पाते हैं, आप सोच रहे होंगे की बच्चे का कर्ज अगर किसी के बच्चा नहीं है तो वह दूसरे का बच्चा गोद लेता है और पुरी जिम्मेदारी उठाता है फिर भी जीवन भर उसके एहसान से दबा रहते हैं इसलिए कर्ज कोई भी हो नहीं लेना चाहिए , यह जीवन का सबसे बड़ा कोढ़ हैं।
(किरन अग्रवाल,प्रतापगढ़, यूपी)