जिया उल हक की हत्या के मामले में दस को उम्रकैद
लखनऊ 09 अक्टूबर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने प्रतापगढ़ के पुलिस क्षेत्राधिकारी जिया उल हक की हत्या के 11 साल पुराने मामले में बुधवार को दस लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी है।
वर्ष 2013 में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश धीरेन्द्र कुमार की अदालत ने फूल चंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज राम लखन, छोटे लाल यादव,राम असरे,मुन्ना लाल पटेल, शिव राम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 323, 353, 332, 302 एवं शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत पर दंगा करने, लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से रोकने, उन पर हमला करने एवं उनकी हत्या करने के अपराध में दोषी ठहराया था और आज इन सभी को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी।
गौरतलब है कि दो मार्च 2013 को ज़मीन के विवाद के कारण कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रधान के समर्थक हथियारों से लैस होकर बलीपुर पहुंच गए थे और कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया था।घटना की जानकारी मिलते ही सीओ कुंडा जियाउल हक, तत्कालीन हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्र, पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे जिन्हे भीड़ ने पुलिस को घेर लिया था।
आरोप था कि मृतक नन्हे यादव प्रधान के परिवार के सदस्यों एवं उनके समर्थकों ने पुलिस पार्टी पर लाठी, डंडा व अन्य घातक हथियारों से हमला किया, दौड़ाया तथा हमला किया। भीड़ ने सीओ कुंडा को पकड़ लिया, उनके साथ मारपीट की एवं उनकी हत्या कर दी, जबकि अन्य पुलिसकर्मी भाग गए।
जांच पूरी होने के पश्चात, सीबीआई ने सात जून 2013 को फूलचंद यादव, पवन कुमार यादव, योगेन्द्र यादव उर्फ बब्लू, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आश्रय, मुन्ना पटेल, शिव राम पासी, जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल एवं सुधीर यादव, के विरूद्ध सीबीआई मामलों के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र दायर किया।
आरोपियों में से एक योगेन्द्र यादव उर्फ़ बब्लू की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई, इसलिए उसके विरुद्ध आरोप समाप्त कर दिए गए। अन्य 10 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है जबकि एक आरोपी सुधीर यादव को बरी कर दिया गया है।