लेख

कश्मीर की सच्ची आजादी?

(वेद प्रताप वैदिक)
भारत के रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने पाकिस्तान के कब्जाए हुए कश्मीर और बल्तिस्तान को आजाद करने का नारा काफी जोर-शोर से लगाया है। उन्होंने 26 अक्टूबर को मनाए जा रहे शौर्य दिवस के अवसर पर कहा है कि तथाकथित ‘आजाद कश्मीर’ के लोगों पर थोपी जा रही गुलामी को देखकर तरस आता है। उन्हें सच्ची आजादी दिलाना बहुत जरुरी है। भारत इस मामले में चुप नहीं बैठेगा।
राजनाथसिंह के पहले हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उस कश्मीर को आजाद करने की बात काफी जोरदार ढंग से कही थी। उनके पहले तथाकथित पाकिस्तानी कश्मीर के बारे में हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री प्राय: कुछ बोलते ही नहीं थे लेकिन मेरी पाकिस्तान-यात्रा के दौरान जब-जब वहां मेरे भाषण और पत्रकार-परिषदें हुईं, मैंने ‘आजाद कश्मीर’ के सवाल को उठाया। पाकिस्तान के राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से जब-जब मेरी मुलाकातें होती तो वे मुझे कहते कि सबसे पहले आप अपना कश्मीर हमारे हवाले कीजिए, तब ही हमारे आपसी संबंध सुधर सकते हैं।
मैं उनसे पूछता कि आपने संयुक्तराष्ट्र संघ का 1948 का वह प्रस्ताव पढ़ा है या नहीं, जिसमें जनमत-संग्रह के पहले पाकिस्तान को कहा गया था कि आप अपने कब्जे के कश्मीर से अपना एक-एक फौजी और अफसर हटाएँ? ज्यादातर पाकिस्तानी नेता, पत्रकार और फौज के उच्चपदस्थ जनरलों को भी इस शर्त का पता ही नहीं था। प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो को दिखाने लिए तो मैं वह स.रा. दस्तावेज़ जेब में रखकर ले गया था। पाकिस्तानी कश्मीर के तीन तथाकथित प्रधानमंत्रियों से कई बार मेरे लंबे संवाद हुए, इस्लामाबाद, लंदन और वाशिंगटन डी.सी. में। वे लोग दोनों कश्मीरों को मिलाकर आजादी की बात जरुर करते थे लेकिन बात करते-करते वे यह भी बताने लगते थे कि पाकिस्तान की फौज और सरकार उन पर कितने भयंकर अत्याचार करती है।
एक कश्मीरी लेखक की उन्हीं दिनों छपी पुस्तक में कहा गया था कि गर्मी के दिनों में ‘उनके कश्मीर’ को पाकिस्तान के पंजाबी अमीर लोग ‘विराट वेश्यालय’ बना डालते हैं। बेनजीर ने अपने फौजी गृहमंत्री से कहा था कि वे मुझे ‘आजाद कश्मीर’ के प्रधानमंत्री से मिलवा दें तो उन गृहमंत्रीजी ने मुझसे कहा कि वह आजाद कश्मीर का ‘प्रधानमंत्री’ नहीं है वह तो किसी शहर के मामूली महापौर की तरह है। सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान ने 1948 में कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा कर लिया था, उसे वह अपना गुलाम बनाकर तो रखना ही चाहता है, उसकी कोशिश है कि भारतीय कश्मीर भी उसका गुलाम बन जाए। दोनों कश्मीरियों को आजादी चाहिए। वैसी ही आजादी, जैसे मुझे दिल्ली में है और इमरान खान को लाहौर में है।
यह आजादी किसी मुख्यमंत्री को ‘प्रधानमंत्री’ कह देने से नहीं मिल जाती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी क्या सचमुच आजाद हैं? वहां फौज जिसको चाहे प्रधानमंत्री की कुर्सी में बिठा देती है और हटा देती है। कश्मीर को सच्ची आजादी तभी मिलेगी, जब दोनों कश्मीर एक हो जाएंगे और दोनों कश्मीर आज भारत और पाकिस्तान के बीच जो खाई बने हुए हैं, वे एक सेतु की तरह काम करेंगे। दोनों कश्मीरों को मिलाकर हम उन्हें भारत के अन्य प्रांतों की तरह आजाद कर सकते हैं। यही कश्मीर की सच्ची आजादी है।

Chauri Chaura Times

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button