संस्कृत विषय में परिश्रम करने से गणित जैसे अंक मिलते हैं – जितेन्द्र कुमार
लखनऊ, संस्कृत एक ऐसा विषय है कि इसमें परिश्रम करने वाला गणित जैसा अंक पाता है। जीवन में यदि ऊंचा उठना है तो बड़ा कार्य करना चाहिये। उक्त विचार उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार भाषा विभाग ने महर्षि वाल्मीकि जयन्ती महोत्सव के उद्घाटन सत्र में दिया। शनिवार 8 अक्टूबर से दो दिवसीय बाल्मीकि जयंती समारोह निराला नगर के जेसी गेस्ट हाउस में आयोजित किया गया है।
संस्कत भाषा के महत्त्व एवं उपयोगिता पर विशेष बल देते हुये उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान का भवन सभी सुविधाओं के साथ, ऑडिटोरिय से युक्त शीघ्र ही बनकर तैयार होने वाला है, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री के द्वारा सम्पन्न किया जायेगा। विदित हो कि संस्थान द्वारा राज्यस्तरीय तेरह प्रतियोगिताओं में पधारे मण्डल से आये विजेताओं को प्रोत्साहित करते हुये उन्होंने कहा कि यह सुनहरा अवसर है, जो आगे बढ़ने के लिये जीवन भर प्रतिभागियों को प्रेरित करता रहेगा। कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत संस्थान द्वारा अनेक योजनाओं का शुभारम्भ किया गया है, जिससे प्रतिवर्ष अनेक लाभार्थी लाभान्विता हो रहे हैं। संस्कृत के जन जन तक पहुंचाने के लिये संस्कृत सम्भाषण कक्षा का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे उनके पठन पाठन में सुधार की स्थिति दिखाई दे रही है। उन्होंने बताया कि सन् 2021-22 में लगभग 13 हजार लाभार्थियों को सम्भाषण का लाभ हुआ। प्रतिवर्ष संस्कृत सम्भाषण में संस्कृत जिज्ञासुओं की संख्या संस्कृत के प्रति उनकी रुचि को दर्शाती है। कार्यकारी अध्यक्ष ने बताया कि संस्कृत पढ़ने वालों को रोजगार से जोड़ने के लिये संस्थान द्वारा ज्योतिष प्रशिक्षण एवं वास्तु तथा कुण्डली बनाने की पद्धति बनानी जानी चाहिये, जिससे सभी लाभान्वित हो सकें। संस्कृत संस्थान द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों की मुक्तकण्ठ से प्रंशंसा करते हुये उन्होंने सिविल सेवा के संस्कृतकक्षा का निश्शुल्क संचालन पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विज्ञान जिस तरह नित नई प्रगति कर रहा है, वैसे ही संस्कृत का नित नई प्रगति की राह पर चलने की जरूरत है। पतंजलियोग पीठ की तरह योग एवं आयुर्वेद में रचित ग्रन्थों के अंग्रेजी हिन्दी अनुवाद कार्य को कर के जनसामान्य तक पहुंचाने का परामर्श दिया। पद्मश्री अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने कहा कि भारतीय अपने गौरवशाली इतिहास को भुलने लगे हैं। विश्व में भगवान् श्रीराम की मूतिर्यो का मिलना श्रीराम कथा के विस्तार को दर्शाता है। श्रीमिश्र ने युग कवि महर्षि वाल्मीकि के अवदान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के दीर्घ अनुभव को साझा करते हुये संस्थान के कार्यो की भूरिशः प्रशंसा की।