भारतीय भी समय से सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने की ज़रूरत को समझ रहे हैं
नयी दिल्ली,जीवन बीमा क्षेत्र की निजी कंपनी मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने कांतार के साथ मिलकर किये गये सर्वेक्षण के आधार पर आज ‘इंडिया रिटायरमेंट इंडेक्स स्टडी (आईआरआईएस)’ का दूसरा संस्करण लॉन्च किया। इसके अनुसार भारत का रिटायरमेंट इंडेक्स 44 पर रहा, परिवार और बच्चों पर निर्भरता आज भी रिटायरमेंट की निवेश संबंधी योजनाओं में सबसे बड़ी बाधा है। सर्वे में सेहतमंद, स्थिर और वित्तीय तौर पर स्वतंत्र रिटायरमेंट लाइफ जीने को लेकर शहरी भारत की तैयारियों का विश्लेषण किया गया है। डिजिटल स्टडी के माध्यम से 28 शहरों में रहने वाले 3,220 लोगों ने सर्वे में हिस्सा लिया। इन शहरों में 6 मेट्रो, 12 टियर 1 और 10 टियर 2 शहर शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 फीसदी भारतीयों को यह भी नहीं पता है कि उन्हें अपनी रिटायरमेंट से जुड़ी योजनाओं की शुरुआत कहां से शुरू करनी है। 50 वर्ष से ज़्यादा उम्र के 10 में से 9 लोगों को इस बात का दुख है कि उन्होंने जल्द ही होने वाली अपनी सेवानिवृत्ति के लिए कोई बचत या निवेश नहीं किया है। ज़्यादातर लोग ‘जितना जल्दी उतना बेहतर’ की धारणा में विश्वास करते हैं, क्योंकि 59 फीसदी लोगों का मानना है कि उनकी बचत, सेवानिवृत्ति के 10 वर्षों के भीतर खत्म हो जाएगी जबकि 69 फीसदी लोग सेवानिवृत्ति से जुड़ी बचत के लिए सबसे उपयुक्त उत्पाद मानते हैं।
पूर्वी ज़ोन और मेट्रो शहरों में सेवानिवृत्ति के लिए तैयारी का स्तर सबसे ज़्यादा रहा है। महिलाओं की तुलना में पुरुष वित्तीय तौर पर ज़्यादा परेशान नज़र आते हैं, हालांकि दोनों के लिए इंडेक्स का स्तर लगभग बराबर ही है।
कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ प्रशांत त्रिपाठी ने आज यहां रिपोर्ट को जारी करते हुये कहा कि बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ी है। ऐसे में इस सर्वे में बीते वर्ष के दौरान देश में सेवानिवृत्ति को लेकर लोगों की तैयारियों का स्तर का पता लगाया गया है। भारत का रिटायरमेंट इंडेक्स (0 से 100 के स्केल पर) 44 के स्तर पर है जिससे पता चलता है कि एक वर्ष की अवधि में सेवानिवृत्ति की योजना को लेकर शहरी भारत की तैयारियों में कमी है। सेहत और वित्तीय तैयारियों का स्तर क्रमश: 41 और 49 पर है, जबकि भावनात्मक तैयारी का स्तर 62 से गिरकर 59 के स्तर पर आ गया है जिससे सेवानिवृत्ति के दौरान परिवार, दोस्तों और सामाजिक समर्थन पर निर्भरता बढ़ने का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ी है और सेहत संबंधी रुझानों में बदलाव आया है, ऐसे में देश में वृद्ध लोगों की आबादी 2031 तक करीब 41 फीसदी बढ़कर 19.4 करोड़ होने का अनुमान है। इसके अलावा, भारत में बढ़ती जीवन प्रत्याशा को ध्यान में रखकर सेवानिवृत्ति की उम्र की समीक्षा का काम भी जारी है। चूंकि उद्योग और व्यापक ईकोसिस्टम सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, इस बेहतरीन और सही तरह से प्रतिनिधित्व करने वाले इस अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय भी समय से सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने की ज़रूरत को समझ रहे हैं। हालांकि, इस जागरूकता का बढ़चढ़कर बचत करने और निवेश के तौर पर मूर्त रूप लेना बाकी है। जब बात सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने की हो, तो सभी भारतीयों को ‘जितना जल्दी उतना बेहतर’ के विचार का पालन करना चाहिए और कम उम्र से ही योजना बनाने की शुरुआत कर देनी चाहिए, ताकि यह पक्का किया जा सके कि सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान उन्हें सेहतमंद और वित्तीय तौर पर स्वतंत्र जीवन जीने का मौका मिल सके।
रिपोर्ट के अनुसार सेवानिवृत्ति को लेकर भारतीयों का दृष्टिकोण कुल मिलाकर सकारात्मक है। 70 फीसदी लोग इसे सकारात्मक विचारों से जोड़कर देखते हैं। जैसे कि परिवार की देखभाल के लिए ज़्यादा समय, टेंशन मुक्त जीवन और लग्ज़री/यात्रा की बेहतर संभावनाएं। इससे उलट, 30 फीसदी या 10 में से 3 लोग सेवानिवृत्ति को नकारात्मक भावनाओं से जोड़कर देखते हैं। इनमें से 6 फीसदी लोगों का कहना है कि वे संभवत: बहुत फिट और सेहतमंद नहीं रह पाएंगे, 5 फीसदी लोगों को डर है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में वित्तीय संसाधन नहीं होंगे।