थिंफू 23 मार्च (वार्ता) भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने कहा कि भूटान सदैव भारत का घनिष्ठ मित्र एवं रणनीतिक साझेदार रहा है, और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से अटूट रक्षा सहयोग रहा है। वर्तमान में भारतीय सेना भूटान में सुरक्षा संबंधी सहयोग प्रदान कर रही है, जिससे भूटान की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
श्री वांगचुक ने समत्से जिले के जामत्शोलिंग में रविवार को आयोजित ग्यालसंग प्रशिक्षण कार्यक्रम 2024 बैच के दूसरे दल के पासिंग आउट परेड समारोह की गरिमामयी शोभा बढ़ाते हुए यह बात कही।
इस ऐतिहासिक अवसर पर, राजा वांगचुक ने चारों ग्यालसंग अकादमियों—जामत्शोलिंग, खोतोखा, पेमाथांग और ग्यालपोजिंग—में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ग्यालसुप्स को संबोधित किया और भूटान की शांति, सुरक्षा एवं आत्मनिर्भरता के लिए उनके महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि भूटान सदैव भारत का घनिष्ठ मित्र एवं रणनीतिक साझेदार रहा है, और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से अटूट रक्षा सहयोग रहा है। वर्तमान में भारतीय सेना भूटान में सुरक्षा संबंधी सहयोग प्रदान कर रही है, जिससे भूटान की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।
राजा ने कहा कि हालांकि, बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए भूटान अब अपनी स्वयं की सेना तैयार करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। इस पहल के तहत ग्यालसंग (राष्ट्रीय सेवा) कार्यक्रम को सुदृढ़ किया गया है, ताकि देश का हर युवा अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रीय रक्षा कौशल में प्रशिक्षित होकर भविष्य में भूटान की आत्मनिर्भर सुरक्षा व्यवस्था में योगदान दे सके।
श्री वांगचुक ने अपने संबोधन में कहा कि भूटान की स्थायी शांति, समृद्धि और संप्रभुता अब केवल स्वप्न नहीं रह गई है, बल्कि साकार हो रही है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को आर्थिक सशक्तिकरण से जोड़ते हुए तीन महत्वपूर्ण स्तंभों को आर्थिक विकास का आधार बताया जिसमें प्रथम ब्रांड अर्थव्यवस्था की चर्चा करते हुए कहा कि भूटान की वैश्विक प्रतिष्ठा इसकी सबसे बड़ी पूंजी है, जिसे और मजबूत किया जाना चाहिए। दूसरा ट्रस्ट अर्थव्यवस्था जो आपसी विश्वास, ईमानदारी और साझेदारियों पर आधारित होगी, जिससे भूटानी नागरिकों और वैश्विक समुदाय के बीच संबंध मजबूत होंगे। साथ ही तीसरे स्ट्रेंथ अर्थव्यवस्था जो भूटान की वित्तीय, भू-राजनीतिक और रणनीतिक क्षमताओं का बुद्धिमानी से उपयोग करके राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को मजबूत करने पर केंद्रित होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि भूटान की ग्यालसंग योजना सिर्फ एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक परिवर्तन है। इसे महामहिम ने 112वें राष्ट्रीय दिवस (17 दिसंबर 2019) को राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा, शांति, एकता और संप्रभुता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से शुरू किया था।
राजा ने कहा कि ग्यालसंग कार्यक्रम की खासियत यह है कि इसे किसी संकट या सुरक्षा खतरे के जवाब में नहीं, बल्कि भूटान को दीर्घकालिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दृष्टि से लागू किया गया है। इससे युवाओं को आधुनिक सैन्य प्रशिक्षण और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 2024 बैच के दूसरे दल में कुल 1,690 युवा पुरुषों और महिलाओं ने प्रशिक्षण पूरा किया, जिससे वे कैडेट से पूर्ण ग्यालसुप्स बन गए। यह प्रशिक्षण 15 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ था और तीन महीने के इस कार्यक्रम में शामिल था।
इसके साथ ही, 2024 बैच के अंतर्गत कुल 3,691 ग्यालसुप्स प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। 2025 बैच की पहली खेप एक अप्रैल 2025 से प्रशिक्षण शुरू करेगी।
श्री वांगचुक ने कहा कि ग्यालसंग प्रशिक्षण के माध्यम से भूटान न केवल राष्ट्रीय सेवा और नागरिक उत्तरदायित्व को मजबूत कर रहा है, बल्कि अपनी रक्षा क्षमताओं को भी विकसित कर रहा है। यह कार्यक्रम भविष्य में भूटान की सैन्य आत्मनिर्भरता का आधार बनेगा, जिससे भूटान अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा स्वयं करने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा कि भारत और भूटान के बीच दशकों से घनिष्ठ रक्षा सहयोग रहा है। भारतीय सेना ने भूटान की सुरक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, ग्यालसंग जैसी पहल से भूटान अब अपनी आंतरिक सुरक्षा को स्वयं संभालने की दिशा में अग्रसर हो रहा है, जिससे भूटान-भारत रक्षा सहयोग और अधिक समृद्ध एवं रणनीतिक रूप से मजबूत होगा।