नई दिल्ली, 13 अप्रैल (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एवं खुदरा कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने “क्विक कॉमर्स” के नाम पर 10 मिनट में डिलीवरी की व्यवस्था को अमानवीय, अस्थायी और व्यापार-विरोधी करार दिया और इसकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह मॉडल श्रमिकों की गरिमा, स्वास्थ्य और पारंपरिक खुदरा व्यापार को गहरी चोट पहुंचा रहा है।
श्री खंडेलवाल ने रविवार को कहा, “भारत को ऐसे किसी त्वरित डिलीवरी मॉडल की जरूरत नहीं है, जो श्रमिकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता हो।” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हम कुछ मिनटों की गति के लिए मानव गरिमा और खुदरा व्यापार की स्थिरता से समझौता करने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि कैट की ओर से इस मुद्दे पर “क्विक कॉमर्स का कुरूप चेहरा” विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 22 अप्रैल को नई दिल्ली में किया जा रहा है। इस सम्मेलन में ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एआईएमआरए) और ऑल इंडिया कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) भी भाग लेंगे।
राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि देश में पहले से ही किराना दुकानों का मजबूत और विश्वसनीय नेटवर्क मौजूद है, जो करोड़ों परिवारों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पूरा करता है। उन्होंने कहा कि 10 मिनट की डिलीवरी प्रणाली इन छोटे दुकानदारों को कमजोर करती है और डिलीवरी कर्मियों को असुरक्षित, अव्यावहारिक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करती है, जो उनकी सुरक्षा और गरिमा के लिए खतरा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भारतीया ने कहा, “हर तेज डिलीवरी के पीछे एक ऐसा कर्मचारी होता है जो अपनी सुरक्षा और गरिमा को दांव पर लगाता है। यह कार्य संस्कृति विषैली और शोषणकारी बनती जा रही है।”
एआईएमआरए के अध्यक्ष कैलाश लख्यानी ने कहा कि सुविधा कभी भी मानव गरिमा की कीमत पर नहीं होनी चाहिए और सरकार को इस शोषणकारी व्यवस्था पर नियंत्रण के लिए दिशानिर्देश और विनियमन तैयार करने चाहिए। एआईसीपीडीएफ के अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा कि भारत का भविष्य तेज़ डिलीवरी में नहीं, बल्कि नैतिक नवाचार, समावेशी विकास और छोटे व्यापारियों के समर्थन में है।