सीतापुर 13 जून (वार्ता) भीषण गर्मी का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है और ऐसे बढ़ता एयर कंडीशनर (एसी) का प्रयोग कोढ़ में खाज का काम कर रहा है।
सीतापुर जनपद का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है, ऐसे में घर हो या सड़क – सुविधा संपन्न लोग जमकर एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। सड़कों पर दौड़ते चौपहिया वाहनों में एसी का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। वाहनों के अंदर तो ठंडा होता है, लेकिन वाहनों में लगी एसी लगातार गर्म हवा बाहर फेंक रही है। हजारों की संख्या में मौजूद वाहनों से बाहर निकल रही गर्म हवाएं तापमान को और भी उच्च स्तर पर पहुंचा रही है। ठीक ऐसा ही हाल घरों का है। घरों में चलने वाली एसी भी कमरे को ठंडा जरूर करती है, लेकिन गर्म हवा बाहर फेंकती है।
विशेषज्ञाें के अनुसार एसी वातावरण में मौजूद हवाओं से नमी चूस लेती है, जिसके बाद गर्म हवाएं बाहर फेंकती हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि एसी का प्राथमिक कार्य कमरे को ठंडा करना है, लेकिन इस प्रक्रिया में, यह हवा से नमी को भी हटा देता है। जब एसी हवा को ठंडा करता है, तो हवा में मौजूद नमी संघनन के रूप में बदल जाती है। संघनन को इकट्ठा करने और हटाने के लिए एसी में एक इवेपोरेटर कॉइल और एक ड्रेन सिस्टम होता है। इस प्रक्रिया से हवा की आर्द्रता कम हो जाती है। कमरे व वाहन को ठंडा करने वाले एसी जहां बाहरी वातावरण को गर्म कर रहे हैं, वही लगातार एसी का इस्तेमाल करने वालों को बीमार भी बना रहे हैं।
मछरेहटा सीएचसी प्रभारी डॉ कमलेश ने बताया कि लंबे समय तक एसी में रहना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल एसी गर्मी और नमी दोनों को कम करता है, जिससे चिलचिलाती धूप और अधिक पसीने से राहत मिलती है। हालांकि इसके ज्यादा इस्तेमाल से स्किन, बाल, नाक और गले में ड्राईनेस बढ़ सकती है। यह ड्राईनेस म्यूकस मेम्ब्रेन को प्रभावित कर सकती है। शरीर में नाक, मुंह, फेफड़ों और आंतों जैसी जगहों पर एक पतली व नम लेयर होती है, जिसे म्यूकस मेम्ब्रेन कहते हैं। यह शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है। जब यह म्यूकस मेम्ब्रेन सूख जाती है तो यह अपनी प्रोटेक्टिव क्षमता खो देती है। इससे बैक्टीरिया और वायरस आसानी से शरीर में घुसकर हमें बीमार कर सकते हैं।