उत्तरप्रदेश
पीड़ित की तहरीर में छेड़छाड़ हुई तो नपेंगे पुलिस कर्मी – एडीजी
गोरखपुर,जोन के जनपदों में घटित होने वाली घटनाओं के संबंध में गोरखपुर जोन के एडीजी अखिल कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोन के सभी पुलिस अधीक्षकों को आदेशित करते हुए कहा कि घटित होने वाली घटनाओं का प्रथम सुचना रिपोर्ट (एफआईआर) तहरीर के अनुरूप शत प्रतिशत अंकित किया जाए,दर्ज अभिलेखों में लगे धाराओं को अथवा अभियुक्त का नाम घटाने, बढ़ाने के संबंध में कोई कार्यवाही करनी हो तो पर्यवेक्षण अधिकारी सीओ व अपर पुलिस अधिक्षक से लिखित अनुमति प्राप्त करने के उपरांत ही की जाएगी एव वादी को एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाय शत प्रतिशत एफआईआर लिखे जाय एनसीआर न दर्ज किए जाएं।पुराने मामलों में यदि विलम्ब से प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखी जा रही है, तो सम्बन्धित के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाय तथा शरीर सम्बन्धी अपराधों में वरिष्ठ अधिकारी अपेन अर्दली रूम में वादी- विवेचक को बुलाकर चर्चा करें। विवेचकों द्वारा विवेचना में मनमानापन न किया जाये, अपर पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक इसकी नियमित समीक्षा करें । एडीजी ने कहा कि उपरोक्त निर्देशों के विपरीत प्रायः थानाक्षेत्र में घटित घटनाओं के सम्बन्ध में अभियोग दर्ज न किये जाने तथा गलत / अपूर्ण अभियोग दर्ज किये जाने के तथ्य संज्ञान में आ रहे हैं । इसके साथ ही थाने में दर्ज मुकदमें में ठीक ढंग से विवेचना / जॉच न होना , दर्ज मुकदमें में मनमाने ढंग से धाराओं का बढ़ाना / घटाना , दर्ज मुकदमें में नामित अभियुक्तों का नाम मनमाने ढंग से निकाल देना तथा निर्दोष व्यक्तियों का नाम बढ़ा देना , मेडिकल अथवा बयान की कार्यवाही समय से न करना , विवेचनाओं को अनावश्यक रूप से लम्बित रखना तथा समय से आरोप – पत्र / अन्तिम रिपोर्ट प्रेषित न करने आदि की शिकायतें भी प्राप्त हो रहीं हैं । ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उक्त निर्देशों का जनपद स्तर से अनुपालन किये / कराये जाने में अपेक्षित स्तर की रूचि नहीं ली जा रही है । एडीजी ने पुनः निर्देशित किया है कि थाने पर आने वाले आवेदकों के साथ होने वाले अपराध को तत्काल उचित धाराओं में दर्ज की जाये और उसकी प्रति आवेदक / वादी को उसी समय ही उपलब्ध करा दिया जाये । मुकदमा पंजीकृत होते ही विवेचक द्वारा तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए विवेचनात्मक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी जाये । विवेचना के मध्य धाराओं के बढ़ाये जाने अथवा घटाये जाने एवं अभियुक्तों को नाम बढ़ाने व घटानें से पूर्व पर्यवेक्षण अधिकारी क्षेत्राधिकारी / अपर पुलिस अधीक्षक से अनुमति प्रत्येक दशा में ली जाये , इस हेतु पर्यवेक्षण अधिकारी की भी जिम्मेदारी है कि वह थानों पर दर्ज अभियोगों का प्रभावी रूप से अनुश्रवण करते हुए नियमित अन्तराल में अर्दली रूम की कार्यवाही किए जाने के साथ ही अर्दली रूम व निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अर्दली रूम रजिस्टर व अपराध रजिस्टर अवश्य चेक कर लिया जाये ।