नयी दिल्ली, 22 मई (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर लगातार तीन दिनों की सुनवाई के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने संबंधित सभी पक्षों की दलीलें विस्तारपूर्वक सुनीं।
वक्फ कानून में संशोधन की वैधता को चुनौती देने वालों में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।
संशोधित कानून का समर्थन करने वाले हस्तक्षेपकर्ताओं में भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली छह राज्य सरकारें शामिल हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम ने कानून का समर्थन किया। इन राज्यों ने प्रशासनिक निहितार्थों का हवाला देते हुए संशोधन का समर्थन किया है।
लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को तीन अप्रैल को पारित किया था। राज्यसभा ने इसे गत 04 अप्रैल को मंजूरी दी और अगले ही दिन पांच अप्रैल को राष्ट्रपति ने संशोधित कानून पर अपनी मुहर लगा दी थी।