आज समाचार पत्र पढ़कर मन में बड़ा कष्ट हुआ।पेपर दुर्घटना, हत्या, चोरी बेईमानी, धोखाधड़ी के समाचारों से भरा हुआ था।इन समाचारों में तीन -चार समाचारों ने मेरे हृदय को उद्वेलित कर दिया।पहला था–मित्रों ने ही मिलकर अपने उस मित्र की हत्या कर ,उसी के फोन से उसके घर वालों से पांच लाख रुपया फिरौती मांगी और खाते में पैसा आ जाने पर निकाल भी लिया।बाद में लाश मिलने पर डी.एन.ए.जांच से पता चलने पर पकड़े गये।उसके बाद मृतक को प्रेमिका के साथ नेपाल शिफ्ट होने की झूठी कहानी रच दी। दूसरी घटना-नशेड़ियों ने छोटी सी बात पर एक कपड़ा व्यवसाई को राड,डंडे से मार डाला।तीसरा समाचार एक महिला के दो पुरुष मित्रों में मारपीट , असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा छात्राओं का यौन शोषण तथा गिरफ्तारी के साथ ही दिमाग को हिला देने वाला एक समाचार यह भी था कि पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर तंत्र क्रिया के लिए पति का सिर काटकर शव को चार टुकड़ों में काटकर ड्रम में डालकर सीमेंट से सील कर देने का था। आश्चर्यजनक बात यह थी कि इस घटना को युवती ने अपने मुंह से ही अपनी मां को बताई।मां बाप ने जब यह जाना तो पुलिस में रिपोर्ट किये और दोनों पुरुष और महिला आरोपियों को पकड़ कर जेल भेज दिये गया। समाचार पढ़कर मेरा मन न जाने कैसा हो गया।हम इक्कीसवीं सदी में चल रहे हैं।शिक्षा का स्तर बहुत बढ़ गया है।हमारे देश का डंका पूरे विश्व में बज रहा है।हम विकास शील देश से विकसित देश की तरफ बढ़ रहे हैं।क्या हमारे विकसित होने का यही प्रमाण है।हमारा नैतिक स्तर कितना गिर गया है।इस पावन भारत देश में जहां इंसान तो क्या ,नदी -पहाड़, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी तक पूजे जाते थे क्या वह यही भारत है ?कहां चले गये हैं हम उच्च शिक्षित होकर भी ? हमारे रिश्ते -नाते,हमारी संवेदनाएं, हमारा प्रेम, हमारा सौहार्द्र, भाई-चारा कहां चला गया है। लड़कियां उच्च शिक्षित हो गयीं हैं , लेकिन उनकी स्त्री -सुलभ कोमलता,दया ,और प्रेम , सम्मान की भावनाएं कहां मर गयीं हैं,समझ में नहीं आता। कहीं न कहीं हम भटक गये अपने रास्ते से, अपनी नैतिकता, अपने प्रेम-भाव, अपने कर्तव्यों से । हमारी संवेदनाएं मरती जा रही हैं। हमें इनको बचाना होगा,बचाना होगा,तभी मानवता बचेगी और देश बचेगा।इस पर विचार करना आवश्यक है।
पार्वती देवी “गौरा”, देवरिया