पचास प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी वाले हर प्रखंड में खोले जाएंगे ईएमआरएस
नयी दिल्ली, 25 जुलाई (वार्ता) जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति (एसटी) आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले हर प्रखंड में एक एकलव्य मॉडल आवासी विद्यालय (ईएमआरएस) स्थापित करने का फैसला किया है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी विज्ञप्ति से अनुसार मंत्रालय जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की केंद्रीय क्षेत्र योजना को लागू कर रहा है। मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने 50 प्रतिशत से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले हर प्रखंड में एक ईएमआरएस स्थापित करने का फैसला किया।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि मंत्रालय ने वर्ष 2026 तक देश भर में 728 ईएमआरएस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। आज की तारीख तक देश भर में कुल 708 ईएमआरएस स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 405 विद्यालय कार्यात्मक हैं। इसके अतिरिक्त, जनजातीय विद्यार्थियों को खेलों में प्रोत्साहित करने और उन्हें अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए मंत्रालय ने ईएमआरएस में 15 खेल उत्कृष्टता केंद्र (खेल के लिए सीओई) स्थापित करने का निर्णय लिया है।
मंत्रालय के मुताबिक एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (ईएमडीबीएस) को 29.04.2022 से ईएमआरएस के साथ मिला दिया गया है और ईएमआरएस की स्थापना और प्रबंधन के लिए कई पहल शुरू की गई है। मंत्रालय ने बताया है कि विद्यालय 480 विद्यार्थियों (लड़के और लड़कियों की समान संख्या) की क्षमता के साथ स्थापित किए गए हैं, जो छठी कक्षा से 11वीं तक के छात्रों को शिक्षा प्रदान करेंगे। इन विद्यालयों के बुनियादी ढांचे में कक्षा, प्रशासनिक ब्लॉक, छात्र और छात्राओं के लिए छात्रावास, खेल का मैदान, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए आवास, प्रयोगशालाएं आदि सुविधाएं शामिल होंगी जो शैक्षणिक शिक्षा के साथ-साथ पाठ्येतर गतिविधियों की ज़रूरतों को पूरा करेंगी। मैदानी क्षेत्र के लिए 37.80 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर, पहाड़ी और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए 48 करोड़ रुपये का निर्माण अनुदान दिया गया है। इसके साथ ही आवर्ती अनुदान प्रति छात्र प्रति वर्ष 1.09 लाख रुपये है। नेस्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक सभी ईएमआरएस में 8000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती पूरी हो चुकी है।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली आदिवासी बच्चों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना मूल्यों, पर्यावरण जागरूकता, साहसिक गतिविधियों और शारीरिक शिक्षा पर ज़ोर देते हुए गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा प्रदान के लिए ईएमआरएस योजना के तहत कई गतिविधियां शुरू की गयी हैं। विज्ञप्ति के अनुसार ईएमआरएस योजना के तहत शुरू की गयी गतिविधियों में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के मानकों के अनुरूप एक आधुनिक पाठ्यक्रम का कार्यान्वयन, सभी विद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम और शैक्षिक मानक बनाना, डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) शिक्षा जैसे आधुनिक तकनीकी हस्तक्षेपों का एकीकरण करना, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन ट्यूशन देना और इंटरैक्टिव लर्निंग के लिए स्मार्टबोर्ड का उपयोग करना शामिल है। इसके साथ ही विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता और व्यावहारिक कौशल को बढ़ाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों का प्रावधान करना, विद्यार्थियों को भविष्य के करियर के अवसरों के लिए तैयार करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना, इनडोर और आउटडोर दोनों खेलों के लिए बुनियादी सुविधाओं का विकास करना और विद्यार्थियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित और समर्थन करना शामिल है। इसके अलावा एथलेटिक प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए व्यापक खेल प्रशिक्षण प्रदान करना, ईएमआरएस में “पोषण वाटिका” स्थापित करने की पहल की गई है।
मंत्रालय ने कहा है कि पोषण वाटिका स्थापित करने के पीछे प्राथमिक उद्देश्य पौधों की स्थानीय किस्मों को संरक्षित करना और दूरदराज के क्षेत्रों में औषधीय और पोषण संबंधी पौधों के ज्ञान का उपयोग करना है। इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण साहसिक पहल में आठ राज्यों के 58 छात्रों को मनाली में एबीवीआईएमएएस में 26-दिवसीय ‘बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स’ में भाग लेने के लिए भेजा गया। यह जानकारी केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।