नयी दिल्ली, 08 अप्रैल (वार्ता) डॉ बत्राज़ हेल्थकेयर के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. मुकेश बत्रा ने मंगलवार को यहां अपनी नयी पुस्तक ‘डिफिकल्ट होम्योपैथी केस स्टडीज़ – हीलिंग पीपल, चेंजिंग लाइव्स’ का विमोचन करते हुये कहा कि यह पुस्तक जीवन को बदलने और स्थायी प्रभाव पैदा करने में होम्योपैथी की शक्ति का प्रमाण है।
डॉ. बत्राज़ हेल्थकेयर द्वारा ‘होम्योपैथी का भविष्य’ विषय पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में पद्मश्री सम्मानित डॉ. बत्रा ने कहा, “यह पुस्तक जीवन को बदलने और स्थायी प्रभाव पैदा करने में होम्योपैथी की शक्ति का प्रमाण है। इस क्षेत्र के 64 प्रतिष्ठित डॉक्टरों के काम को सामने लाया गया है और इसका उद्देश्य होम्योपैथी चिकित्सकों की युवा पीढ़ी को प्रेरित करना और इस विज्ञान समर्थित चिकित्सा प्रणाली में उनके विश्वास को मजबूती प्रदान करना है। होम्योपैथी को एक विश्वसनीय और साक्ष्य-आधारित विषय के रूप में बढ़ावा देने में केन्द्र सरकार और आयुष मंत्रालय के निरंतर समर्थन के साथ, हमारा मानना है कि यह पुस्तक होम्योपैथी के अनुसंधान, शिक्षा और अनुप्रयोग को आगे बढ़ाने में एक आवश्यक संसाधन के रूप में काम करेगी।”
पिछले डेढ़ साल की कड़ी मशक्कत से तैयार की गयी इस महत्वपूर्ण पुस्तक में मरीज़ों के सफल इलाज की कहानियाँ शामिल हैं, जो यह दर्शाती है कि होम्योपैथी से किया गया उपचार कैसे जीवन को बदल सकता है। इसमें उच्च कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, श्वसन संबंधी बीमारी, त्वचा और बालों की समस्याएं और कुछ दुर्लभ बीमारियों जैसे अनेक जीवनशैली जनित रोगों में होम्योपैथी के उपचार की अहम भूमिका के बारे में दर्शाया गया है।
प्रेस वार्ता पैनल में पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा, होम्योपैथी एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. तरकेश्वर जैन और डॉ. अनिल खुराना (पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग एवं पूर्व महानिदेशक, होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, भारत सरकार) उपस्थित रहे।
चर्चा में होम्योपैथी की तेज़ी से बढ़ती लोकप्रियता, अनुसंधान और नवाचार की भूमिका और डॉ. बत्रा के पिछले 50 वर्षों के वैश्विक योगदान पर प्रकाश डाला गया। साथ ही, होम्योपैथी की बदलती भूमिका, इससे जुड़ी आम गलतफहमियों को दूर करने और रेगुलेटरी सहयोग के साथ इसे मुख्यधारा स्वास्थ्य सेवा में शामिल किए जाने पर भी चर्चा हुई। पैनल ने होम्योपैथी में बीमा की भूमिका और महिला चिकित्सकों की बड़ी संख्या में भागीदारी पर भी चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य में होम्योपैथी से उपचार की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। देश के करीब 10 करोड़ लोग पूरी तरह से होम्योपैथिक उपचार पर निर्भर हैं। देश में दो लाख से अधिक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर हैं और हर साल लगभग 12,000 नए डॉक्टर इस क्षेत्र में सेवा देने की ओर अग्रसर हैं।