दुविधा ऐसी स्थिति होती है जो इंसान को न आगे चलने देती है और न पीछ ही….
जैसा कि आप रूस और यूक्रेन युद्ध मे रोज देख रहे है।
ये युद्ध बहुत कुछ इस दुनिया और मानव को सीखा रहा है,
कभी कभी अहम और अत्यधिक महत्वाकांक्षा सकारात्मक सोचने की शक्ति का हरण कर देती है,और आंख पर पट्टी पड़ जाती है और सिर्फ पतन,और विनाश ही होता है।
हजारों वर्ष “दुविधा” की स्थिति महाभारत युद्ध के समय भी हुई थी ,जब भगवान कृष्ण समेत कई योद्धा खुद को किसके साथ रखे ये निर्णय नही ले पा रहे थे।
अर्जुन भी महाभारत युद्व के दौरान “दुविधा”की स्तिथि में खुद को पा रहे थे अपनों पर आक्रमण करने पर असमंजस , दुखी हो ,और कतरा रहे थे।
तब भगवान कृष्ण ने उन्हें उपदेश दिया और समझा कर इस दुविधा से उबारा।
– ऐसी ही दुविधा की स्थिति परिवार में ,समाज में, मित्रों में ,भी आती है जब आदमी मनुष्य निर्णय नहीं कर पाता कि वह किसके साथ खड़ा हो…
– आज रूस अपनी जगह सही है ,तो यूक्रेन भी अपनी जगह लगभग सही ही है।
इसमें किसी एक को गलत साबित करना बड़ा कठिन होता जा रहा है। और नुकसान क्या हो रहा है ये सभी लोग देख रहे है पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है।।
दुनिया 2 खेमो में बटती जा रही है,ऐसे में कौन किसके साथ खड़ा हो ये निष्पक्ष और उदारवादी देशों के लिए एक समस्या बनती जा रही है,जिसके दोनों से अच्छे संबंध है
जैसे की मेरा देश .भारत इनका दोनों से अच्छे संबंध है और दोनों को भारत से उम्मीद भी है ऐसे में भारत का रोल आप सभी देख ही रहे है,
➡️ कभी कभी ऐसी स्थिति सामान्य जीवन मे भी आ जाती है, और इंसान चाह कर भी कुछ न बोल पाता है न कुछ कर पाता है।।
सभी अपने है ,वक़्त बदलता है सोच बदलती है फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है।।
कोई भी इंसान कितना भी शक्तिशाली हो वो किसी से दुश्मनी अपनी बची उम्र से ज्यादा नही रख सकता।
इसलिए भगवान से मेरी प्रार्थना है कि
अभी भी वक़्त है रूस और यूक्रेन को प्रभु सदबुद्धि दे,
अभी भी वक़्त है सम्भलने का बात कही परमाणु युद्ध तक न पहुँच जाए।।
जय हिन्द..
कुन्दन वर्मा “पूरब”